भारत की आजादी की एक और वर्षगांठ यानी 70वां स्वतंत्रता दिवस बस कुछ दिन दूर है. हर साल जब देश अपनी आजादी की सालगिरह मनाता है तो उससे एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 की वो तारीख भी उसे याद आती है, जब भारत के दो टुकड़े किए गए. भारत विभाजन को लेकर इतिहासकारों ने तमाम किताबें लिखी हैं, जिसमें उस काल की घटनाओं का अपने-अपने दृष्टिकोण के हिसाब से वर्णन किया गया है.
भारत विभाजन के बाद देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या जैसी त्रासदी भी देखी. हिंदू चरमपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि उसे लगता था कि गांधी ने भारत के विभाजन का वैसा विरोध नहीं किया, जैसा वो कर सकते थे. हालांकि महान समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की किताब 'भारत विभाजन के गुनहगार’ में इस बात का जिक्र आता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को बंटवारे के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी थी.
किताब में लोहिया कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की उस बैठक का विस्तार से जिक्र करते हैं जिसने देश की विभाजन योजना को स्वीकृति दी. लोहिया के मुताबिक इस बैठक में गांधी ने नेहरू और पटेल से शिकायती लहजे में कहा था कि उन्हें बंटवारे के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई. इसके जवाब में नेहरू ने महात्मा गांधी की बात को बीच में ही काटते हुए कहा था कि उन्होंने, उन्हें बराबर सूचना दी थी.
लोहिया लिखते हैं, 'गांधी ने हल्की शिकायत की मुद्रा में श्री नेहरू और सरदार पटेल से कहा था कि उन्हें बंटवारे के बारे में सूचना नहीं दी गई और इसके पहले कि गांधी जी अपनी बात पूरी कह पाते, श्री नेहरू ने तनिक आवेश में आकर बीच में उन्हें टोका और कहा कि उनको वो पूरी जानकारी बराबर देते रहे'.
लोहिया के मुताबिक 'महात्मा गांधी के दोबारा दोहराने पर कि उन्हें विभाजन की योजना के बारे में जानकारी नहीं थी, श्री नेहरू ने अपनी पहले कही बात को थोड़ा-सा बदल दिया. उन्होंने कहा कि नोआखाली इतनी दूर है और कि वो उस योजना के बारे में विस्तार से न बता सके होंगे, उन्होंने गांधी जी को विभाजन के बारे में मोटे तौर पर लिखा था'. इस बैठक के बारे में लोहिया आगे लिखते हैं कि इस बैठक में श्री नेहरू व सरदार पटेल, गांधी के प्रति आक्रामक रोष दिखाते रहे.