खबर है कि सरकार पेट्रॉल की तरह ही डीजल के दाम को डीरेग्यूलेट करने का मन बना रही है. सरकार का मानना है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत की मौजूदा स्थिति अगर ऐसी ही बनी रही तो इस साल के दिसंबर महीने तक डीजल पर से सब्सिडी खत्म करने का विचार किया जा सकता है.
फिलहाल इराक में आए संकट के कारण कच्चे तेल का कीमतों में उछाल देखा गया था और कच्चे तेल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर चला गया था. लेकिन अब कीमत में गिरावट दर्ज की गई है और फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 106.7 डॉलर प्रति बैरल हो गई है.
सरकार का मानना है कि कच्चे तेल की कीमत में गिरावट की वजह से भारत में डीजल की कीमत और विश्व बाजार में डीजल की कीमत के बीच के अंतर कम हो सकता है. कुछ दिनों पहले तक ये अंतर 1 रुपये 60 पैसे का रह गया था लेकिन पिछले दिनों कच्चे तेल कीमतों में आई वृद्धि की वजह से ये अंतर बढ़ कर 3 रुपये 40 पैसे प्रति लीटर तक का हो गया था.
सरकार का ये भी मानना है कि आने वाले 5 महीनों में ये अंतर और भी कम हो जाएगा जिसके बाद डीजल की कीमत भी पेट्रोल की तरह ही बाजार के हिसाब से तय की जाएंगी और ये सरकार के नियंत्रण से बाहर हो जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली डीजल के डीरेग्यूलेशन और एलपीजी सब्सिडी पर कटौती के लिए जल्द ही फैसला ले सकते हैं.