scorecardresearch
 

जनता की आंखों में धूल झोंक रही है कांग्रेस: राजनाथ सिंह

डीजल को नियंत्रण से मुक्‍त करने के सरकार के फैसले से भूचाल आ गया है. विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार को जमकर कोसना शुरू कर दिया है.

Advertisement
X

डीजल को नियंत्रण से मुक्‍त करने के सरकार के फैसले से भूचाल आ गया है. विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार को जमकर कोसना शुरू कर दिया है.

Advertisement

बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
मुख्‍य विपक्षी दल बीजेपी ने बिना देर किए कांग्रेस पर निशाना साधा है. बीजेपी के पूर्व अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने डीजल पर लिए गए सरकार के फैसले की आलोचना की है. राजनाथ सिंह ने कहा है कि कांग्रेस जनता की आंखों में धूल झोंक रही है. उन्‍होंने कहा कि सरकार के पास कोई नीत‍ि नहीं है.

डीजल बढ़ाएगा आम आदमी की मुसीबत
डीजल की कीमत को लेकर हंगामा इसलिए खड़ा होता है, क्‍योंकि डीजल अगर महंगा हुआ, तो हर किसी की ज़िंदगी में मुश्किलें बढ़ जाएंगी. डीज़ल के दम पर हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की सांसें चलती हैं. घरों से लेकर, कल-कारखानों और खेतिहर किसानों तक, सभी का कारोबार डीज़ल से जुड़ा हुआ है. डीज़ल के दाम बढ़ने का सीधा वास्ता महंगाई से है और इसका असर कर्ज की ब्याज़ दरों पर भी पड़ना तय है.

Advertisement

डीजल पर निभर हैं अन्‍य चीजों के दाम
सबसे बड़ी मार किसानों पर पड़ेगी, क्योंकि सिंचाई से लेकर गुड़ाई और बुवाई, सब पर खर्च बढ़ जाएगा. बीज और खाद के दाम भी बढ़ेंगे. देश में बड़ी तादाद में उद्योग-धंधे डीज़ल के दम पर चलते हैं, उन कारखानों में भी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी. डीज़ल कारों की बिक्री पर भी असर पड़ना तय है. इसके साथ ही डीज़ल महंगा हुआ, तो हर तरह का सफ़र महंगा हो जाएगा. ढुलाई भाड़ा बढ़ेगा, तो खाने-पीने की चीज़ें महंगी होंगी. रोजमर्रा की दूसरी चीज़ें और फल सब्ज़ियों के दामों में भी आग लगेगी. बच्चे की स्कूल बस का किराया भी महंगा हो सकता है.

ब्‍याज दरों में कटौती पर फिरेगा पानी
अगर महंगाई बढ़ेगी, तो रिज़र्व बैंक कर्ज़ की ब्याज़ दरों में कटौती करने से परहेज़ करेगा. इस तरह आम लोगों की मुसीबतें लगातार बढ़ती ही जाएंगी.

वित्तीय घाटा कम करने की जुगत
आख़िर क्या वजह है कि सरकार ने डीज़ल से हाथ खींच लिए. जो सरकार जनता के फायदे के नाम पर तमाम भारी भरकम योजनाओं पर पैसा लुटा रही है, उसने डीज़ल की कीमतें तेल कंपनियों को हवाले आखिर क्यों कर दिया गया?

दरअसल, इस बहाने वित्तीय घाटा कम करने की कोशिश हो रही है और सब्सिडी का बोझ कम करने के उपाय किए जा रहे हैं. डीज़ल पर सरकार फ़िलहाल 90 हज़ार करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है. सरकार इस सब्सिडी से छुटकारा पाना चाहती है. गौरतलब है कि केलकर समिति ने भी इसी बात की सिफ़ारिश की थी.

Advertisement
Advertisement