प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'कैशलेस इंडिया' मुहिम शहर-शहर, गांव-गांव पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से बहुत कोशिश की जा रही है. लेकिन मध्य प्रदेश के आगर-मालवा क्षेत्र की हकीकत कुछ और ही कहानी बयान कर रही है. यहां पंचायत स्तर के गांवों में भी किसी भी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स कंपनी के नेटवर्क की सही तरीके से पहुंच नहीं है.
कैशलेस ट्रांजेक्शन तो दूर की बात हैं, यहां किसी को अपने दूर बैठे रिश्तेदार से मोबाइल पर जरूरी बात करनी हो तो उसे पहले नेटवर्क पकड़ने के लिए पहाड़ी पर एक किलोमीटर तक चढ़ाई करनी पड़ती है. इसके अलावा लोगों को ऊंचे पेड़ों या झोपड़ीनुमा मकानों की छत पर चढ़कर सिग्नल पकड़ने की कोशिश करते देखा जा सकता है. ये सब कुछ जान जोखिम में डालने वाला है लेकिन यहां लोगों के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है.
नोटबंदी के दौर में जहां कैश की किल्लत है, वहां सरकार का जोर है कि अधिक से अधिक कैशलेस ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल किया जाए. लेकिन आगर-मालवा के ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क सही तरीके से नहीं मिलने की वजह से हर कोई परेशान है. दुकानदारों की शिकायत है कि उनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है. कोई मोबाइल से पेमेंट करना भी चाहे तो नेटवर्क नहीं होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाता.
वहीं गृहणियों का भी कहना है कि नेटवर्क नहीं होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि जब दूर रहने वाले रिश्तेदारों से मोबाइल पर बात ही नहीं हो सकती तो फिर मोबाइल के जरिए पैसा ट्रांसफर करना तो बहुत दूर की कौड़ी है.
मोबाइल नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के डीलर्स से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि कैशलेस इंडिया की मुहिम को सफल बनाना है तो जरूरी है कि लोग मोबाइल बैंकिंग से पैसे का लेनदेन कर सकें. मोबाइल सिम डीलर नीरज जैन का इस बारे में कहना था कि मजबूत सिग्नल वाले नेटवर्क की मौजूदगी के बिना कैशलेस इंडिया के सपने को हकीकत में नहीं बदला जा सकता.