भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद और पश्चिम बंगाल के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक बार फिर से एक ताजा विवाद खड़ा कर दिया है. इस बार उन्होंने कोरोना वायरस पर एक बयान देकर नए विवाद का जन्म दे दिया है. एक धार्मिक समारोह में भाग लेने के दौरान दिलीप घोष ने दावा किया कि कोरोना वायरस उन लोगों को प्रभावित नहीं करेगा जिनके पास पूजा के बाद देवी का प्रसाद है.
दिलीप घोष ने कहा, "हजारों लोग अपने हाथों से पानी पीते हैं और पूरे भारत के मंदिरों में 'प्रसाद' का सेवन करते हैं, लेकिन उन्हें कुछ नहीं होता क्योंकि उन पर भगवान का आशीर्वाद होता है." अपनी आध्यात्मिकता को जाहिर करने के क्रम में उन्होंने कहा, “हमारी माताएं लंबे समय से हमारी भलाई के लिए उपवास कर रही हैं. यह वह संस्कृति है जो हम भारत में हर जगह देखते हैं. यह भारत की पहचान है. जो लोग दुनिया में काफी आगे बढ़ गए हैं और चांद पर जाने की बात कर रहे थे, वे अब अपने बंद दरवाजों के पीछे बैठे हैं. चीन दुष्ट है. उन्होंने (चीन) अपनी मातृभूमि को नष्ट कर दिया है. तभी कहा जाता है कि प्रकृति सही सजा देती है. कुछ लोग संक्रमित (देश में) हो रहे हैं लेकिन मलेरिया और डेंगू के कारण देश में कई मौतें हो रही हैं. हम डरे हुए नहीं हैं. ”
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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दिलीप घोष के दावे पर कड़ा प्रहार किया है और उनके साइंस के ज्ञान पर सवाल उठाया है. दिलीप घोष की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी सचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि उन्हें अपने पद के महत्व का एहसास होना चाहिए. "हर दिन दिलीप बाबू एक हंसी का पात्र बन रहे हैं. उन्हें महसूस करना चाहिए कि वे एक राजनीतिक पार्टी के राज्य अध्यक्ष और सांसद हैं."
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पेशे से डॉक्टर और बारासात की टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, "वे मेडिकल साइंस में शिक्षित नहीं हैं. यह एक विशेष वायरस की बीमारी है जिसने कई लोगों को मार दिया है और दुनिया भर में यह बीमारी फैल गई है. डॉक्टर और सरकारें वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जो लोग ऐसी स्थितियों पर टिप्पणी करने के लिए पर्याप्त पढ़े-लिखे नहीं हैं, उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. हम सभी ईश्वर में विश्वास करते हैं. हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, लेकिन ईश्वर से टेलीफोन या इमेल के माध्यम से हमारा कोई सीधा संपर्क नहीं है जैसा कि घोष के पास है. इसलिए अब भगवान उनके साथ संवाद करने में काफी खुश हैं."