बिहार की स्थानीय सियासत में जिस जाति के बिरादरी में साथ बैठाने के नाम पर विवाद होता है, उसका ख्याल भी दिल से निकालते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपने डिनर में नया संदेश दिया. सोनिया के डिनर में सोनिया की मेज पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दाहिनी ओर बैठे थे, तो बाईं और थे 'हम' पार्टी के दलित मुसहर नेता जीतन राम मांझी.
सोनिया के इस सियासी डिनर में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि जो भी आए वह भविष्य में सियासत का संकेत लेकर जाए. इसलिए भविष्य के लिहाज से सोनिया की टेबल पर अगर मांझी थे तो राहुल की टेबल पर वो थे जो राहुल के नेतृत्व को लेकर भविष्य में परेशानी पैदा कर सकते हैं और वो हैं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार. मराठा क्षत्रप शरद पवार राहुल गांधी की बगल की सीट पर मौजूद थे. इतना ही नहीं दूसरी बड़ी सियासी प्लेयर मायावती के सिपहसालार सतीश चंद्र मिश्र भी राहुल की ही मेज पर बैठे थे.
शरद पवार और मायावती के बाद सबसे बड़ी खिलाड़ी ममता बनर्जी थी. हालांकि ममता बनर्जी खुद तो नहीं आईं लेकिन उन्होंने अपने करीबी सुदीप बंदोपाध्याय को भेजा. सुदीप बंदोपाध्याय सोनिया गांधी के सिपहसालार अहमद पटेल की मेज पर बैठे थे. वैसे ममता केसीआर के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे की कवायद में भी जुटी हैं, लेकिन सोनिया के बुलावे पर अपना नुमाइंदा भेजकर उन्होंने मोदी के खिलाफ कांग्रेस की धुरी वाले मोर्चे की संजीदगी को जिंदा रखा.
वैसे इस डिनर में खुद सोनिया ने मैन्यू तैयार किया था. इस बात का खास ख्याल रखा गया था कि कुछ नेता केरल- बंगाल से आएंगे, तो कुछ यूपी-बिहार से, वहीं कुछ कश्मीर से होंगे. इसीलिए वेज- नॉन वेज सूप के बाद पनीर की सब्जी, छोले- चने और दाल वेज के व्यंजन में रखे गए थे. वही मटन और चिकन के साथ बंगाल- केरल के नेताओं के मद्देनजर झींगा मछली भी थी. इसके बाद बात मीठे की आई तो रबड़ी, जलेबी, रसगुल्ला और आइसक्रीम मौजूद थे.
आखिर में उत्तर भारतीयों के लिए मीठे पान का इंतजाम था. इसके साथ ही जम्मू- कश्मीर से आये उमर अब्दुल्ला का खास ख्याल रखते हुए कहवे का भी इंतजाम था, जिसका जायका खाने के साथ झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने खूब लिया. वहीं, चेन्नई से आने वाली कनिमोझी के लिए डोसा स्पेशल डिश थी. साथ ही झारखंड से आए राज्य के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने बताया कि हमारे लिए तो पान ही जोरदार था. पान की तारीफ करने वालों में लालू यादव के बेटे तेजस्वी और बेटी मीसा भारती भी शामिल रहे.
खास बात ये रही कि सोनिया ने 19 दलों के हर आने वाले नेता को खुद गेट पर जाकर रिसीव किया. इसके बाद ममता, अखिलेश, मायावती के नुमाइंदों से उनके नेताओं का हाल जाना. खुद राहुल ने भी सोनिया के इसी कदम को फॉलो किया, जो बड़े नेता नहीं आये उनके नुमाइंदों से उनके नेता का हाल पूछा. साफ था कि सोनिया के साये में राहुल का नेतृत्व तलाशने की कोशिश इस डिनर में रही. लेकिन पहले किसी जल्दबाजी की बजाय सोनिया के नाम पर इकट्ठा होकर मोदी सरकार को उखाड़ने का बिगुल बजाने की आवाज जरूर नजर आई. खासकर, यूपी के धुर सियासी विरोधी सपा के रामगोपाल यादव और बसपा के सतीश मिश्र की फोटो ने सभी को हैरान कर ही दिया.
हालांकि, सोनिया की ये डिनर पॉलिटिक्स मोदी विरोध की धुरी कांग्रेस को बनाने के लिए रही, जिस पर ममता बनर्जी तेलंगाना के सीएम केसीआर के साथ मिल तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश कर पलीता लगा सकती हैं. इसीलिए कांग्रेस ने राहुल के बजाय सोनिया को केंद्र में रख सियासी कवायद को सियासी डिनर के तौर पर अंजाम दिया. लेकिन सियासी सफर लंबा है, ये तो शुरुआत है, सोनिया की सियासी गाड़ी इसी दिशा में आगे बढ़ेगी या फिर डगमगाएगी, इसका फैसला तो आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे.