नेपाल और भारत में भूकंप के लगातार झटकों से हरकत में आई सरकार आपदा प्रबंधन में जुट गई है. भारत सरकार सार्क देशों के बीच 'आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया' पर हुए समझौते को अमल करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है. इसकी एक झलक आपदाग्रस्त नेपाल को दी जा रही मानवीय और तकनीकी मदद में भी दिखाई देती है.
इसके अलावा भारत एक सार्क देशों के बीच एक 'मॉनिटरिंग सिस्टम' बनाने पर विचार कर रहा है जिसमें आपदा से पहले चेतावनी जारी की जा सके और आपदा का खतरा भी घटाया जा सके. इस संबंध में सभी सार्क देशों- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, भूटान और भारत के बीच समझौते पर दस्तखत किए गए हैं.
पूर्व चेतावनी सिस्टम में साइक्लोन, बाढ़ और सुनामी आदि के बारे में भविष्यवाणी की जाएगी. भारत सभी सार्क देशों को तकनीकी और वित्तीय मदद मुहैया कराएगा.
दिल्ली में प्लान को अभी मंजूरी का इंतजार
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सिस्टम बनाने की बात तो हो रही है, लेकिन दिल्ली में अभी काफी कुछ तय होना बाकी है. दिल्ली सरकार ने अभी तक जरूरी राज्य आपदा प्रबंधन योजना नहीं बनाई है. हालांकि राजधानी के जिलों में स्थानीय स्तर पर प्लान बनाए गए हैं, पर उन्हें अब भी दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की मंजूरी मिलने का इंतजार है.
उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री भी डीडीएमए के सदस्य होते हैं. 1 करोड़ 60 लाख की आबादी वाला दिल्ली शहर सीस्मिक जोन चार में आता है. 1997 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 6.5 फीसदी घर में भूकंप से ज्यादा खतरा है. वहीं, 85.5 फीसदी घरों को थोड़े कम नुकसान का खतरा है.