पिछले कुछ समय से चुनावी हार और अंदरूनी घमासान का सामना कर रही भाजपा की कमान संभालने वाले नितिन गडकरी ने गुरुवार को दो टूक शब्दों में कहा कि वह अनुशासनहीनता हर्गिज बर्दाश्त नहीं करेंगे.
पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने भाजपा को ‘‘कांग्रेस का नैसर्गिग विकल्प’’ बताते हुए जहां पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, जन जाति, और असंगठित मजदूरों में पार्टी के प्रति विश्वास का निर्माण करने तथा गलतफहमियों को दूर करने की बात कही वहीं यह भी स्पष्ट किया कि उनके भाजपा की कमान संभालने का अर्थ हिन्दुत्व की विचारधारा में किसी तरह का परिवर्तन नहीं है. कई पार्टी नेताओं द्वारा सार्वजनिक आलोचनात्मक बयान देते रहने और पार्टी के निर्देशों का पालन नहीं करने की लंबे समय से चली आ रही स्थिति के बीच गडकरी ने कहा, ‘‘किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. हमें अनुशासन की भावना को समझने की आवश्यकता है. यह चर्चा का नहीं, व्यवहार का विषय है.’’
नयी टीम बनाने सहित उनकी भावी योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर विश्वास से भरे नजर आ रहे गडकरी ने कहा, ‘‘मैं प्रबंधन का आदमी हूं. जो अच्छा प्रदर्शन करेगा उसे आगे बढ़ाया जाएगा, जो नहीं करेगा, वह पीछे जाएगा. मेरा कोई आदमी नहीं है. योग्यता के हिसाब से काम दिया जाएगा.’’ राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने जैसे मुद्दों के बारे में बार-बार पूछे जाने पर गडकरी ने कहा कि भाजपा अपने सभी मुद्दों पर कायम है और ‘‘मेरे आने पर विचारधारा का कोई परिवर्तन नहीं होने जा रहा है.’’
लोकसभा चुनाव में हार और उसके बाद पार्टी के नेताओं के बीच मचे घमासान के चलते संघ द्वारा भाजपा की कमान संभाल लिए जाने के सुझावों पर उन्होंने कहा, ‘‘संघ ना तो भाजपा का टेक ओवर करना चाहता है और ना ही उसे डिकटेट करना चाहता है. विश्वास रखिए संघ ने मुझे भी (अध्यक्ष पद) पर डिकटेट नहीं किया है.’’ उमा भारती, गोविंदाचार्य और कल्याण सिंह आदि की पार्टी में वापसी की इच्छा जता चुके गडकरी से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अभी इन नेताओं की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है. ‘‘प्रस्ताव आएगा तो निश्चित तौर पर सोचेंगे.’’
अगले तीन साल लोकसभा, राज्यसभा या विधानसभा आदि का कोई चुनाव नहीं लड़ने और पूरा समय संगठन के निर्माण और विस्तार में लगाने की उन्होंने घोषणा की. उन्होंने बताया कि शीघ्र ही वह महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य केवल अगले आम चुनाव के लिए पार्टी को तैयार करने का नहीं, बल्कि अगली सदी के लिए भाजपा को तैयार करने का है. उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ वह उसके नेतृत्व वाले राजग को मजबूत बनाने के लिए भी कार्य करेंगे. संघ के करीबी गडकरी ने अपनी नयी जिम्मेदारी के बारे में कहा, ‘‘मैं अपनी नयी भूमिका में यशस्वी होउंगा, ऐसा मेरा विश्वास है. यह पूर्ण आत्मविश्वास है, अंहकार नहीं.’’
अनुशासनहीनता से निपटने की उनकी कार्ययोजना के बारे में पूछे जाने पर गडकरी ने कहा, ‘‘एक गलती की छूट होगी. राजनीति में कार्यकर्ताओं द्वारा गलतियां किया जाना संभव है. लेकिन नेताओं को उन्हें दुरुस्त करना चाहिए.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह कड़ाई से अनुशासन लागू करेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं कठोरता से निर्णय करूंगा.’’ उन्होंने कहा कि वह पार्टी की अंदरूनी खींच-तान समाप्त करना चाहते हैं. गडकरी ने दावा किया कि अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली आने पर उन्होंने पहला कार्य पार्टी की राजस्थान इकाई में मचे घमासान को समाप्त करने का किया. ‘‘मैंने सभी नेताओं से कहा कि वे अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम स्थगित करके पहले राजस्थान समस्या निपटाएं. मैंने छह घंटे समस्या को समझने और हल करने में लगाए. मैं राजस्थान समस्या पर विराम लगाना चाहता था और हम सफल हुए.’’
भाजपा के नए अध्यक्ष ने राजनीति को नए मायने दिए जाने की बात करते हुए कहा कि आतंकवाद को समूल नष्ट करना और बेरोज़गारों को रोज़गार देना ‘‘राजनीतिक प्रेरेणा क्यों नहीं बन सकते ?’’ उन्होंने कहा कि सरकार अगर आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाती है तो हम निश्चित तौर पर उसका समर्थन करेंगे. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के अनुसूचित जाति के लोगों की झोपड़ियों में जाने की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा है, करने दीजिए. मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. वह अच्छा काम कर रहे हैं.’’ युवाओं को आकषिर्त करने की उनकी योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जहां जहां भाजपा शासन में है वहां प्रशासन के जरिए और जहां शासन में नहीं हैं वहां गैर सरकारी संगठनों के द्वारा रोज़गार के अवसर सृजत करके युवाओं की सहायता की जाएगी.