आसाराम यौन शोषण केस में पकड़े जाने के बाद से ही खुद को निर्दोष बता रहे हैं, लेकिन एक के बाद एक सबूतों ने इन्हें अब तक सलाखों के पीछे ही रखा है. हाल ही में एक ऐसा दस्तावेज सामने आया है, जो दिखाता है कि आसाराम की एक से अधिक पत्नी है.
आसाराम आसाराम के फर्जीवाड़े कि शुरुआत कच्छ के बिट्टा गांव से 1997 में हुई थी. बिट्टा गांव के तीन भाई देवजी, शंकरलाल और हिरजी मूलजी भानुशाली की दस एकड़ जमीन, आसाराम ने उनसे सिर्फ एक ध्यान कुटिया बनाने के लिए मांगी थी और उनको यह आश्वासन दिया था कि खेत तो उनके नाम पर ही रहेगा.
2007 में जब आसाराम के लोगों ने उनके आने के पहले जमीन साफ करने के लिए कचरा जलना शुरू किया तब आग बेकाबू हो गई और आसपास कि 300 एकड जमीन की उपज जल कर खाख हो गई.
जब यह तीनों भाई मुआवजे कि अर्जी डालने गए तब उनको पता चला कि उनकी पूरी 10 एकड़ जमीन तो आसाराम ने अपने नाम करवा ली है. इतना ही नहीं अपने आप को किसान भी दर्ज करवा लिया था और 9/5/1997 को खेत सर्वे नं.: 368(1) और (2) के वारिसों में चार नाम भी दर्ज करवा दिए.
ये नाम हैं
लक्ष्मी बेन आसाराम (64)
नारायण आसाराम (38) (बेटा)
भारतीबेन आसाराम (35) (बेटी)
सिलपिबेन w/o आसाराम (39)
बिट्टा गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर और सुनसान ऐसे खेतों में आसाराम ने पहले अपनी ध्यान कुटिया बनाई. आज वह खंडहर में तब्दील हो चूका है.
बड़े भाई हिरजी भाई का कहना है कि आसाराम ने धोखे से उनकी जमीन सिर्फ हथिया नहीं ले, पर ५०० रुपये के स्टाम्प पेपर पर ऐसा करार भी कारवा लिया कि उसने वह सर्वे न: 368 वाली 10 एकड़ जमीं उनसे 7500 प्रति 5 एकड़ खरीद ली है और उसकी टालती कि मिली भगत से उसे रजिस्टर भी करवा ली.
तीनों भाइयों को पैसे भी नहीं मिले और सरकार ने बोगस किसानों कि जमीनें जब्त कर ली, जिस वजह से इन तीनों भाइयों कि जमीं भी जब्त हो गईं. वे बर्बाद हो गए. आज वे खेत मालिक से खेत मजदूर हो गए हैं और बदहाली कि जिंदगी जीनो को मजबूर है. कच्छ में बोगस किसान बने के बाद ही आसाराम और नारायण साईं ने पूरे देश में खेती कि जमीनें खरीद कर अपना फर्जीवाड़ा चलाया.
उल्लेखनीय है कि आजतक ने ही कच्छ के छाड़वारा गाओं में आसाराम के सेवादार सिवा के नाम पर ली गई करोडों कि जमीनों का पर्दाफाश्ा किया था.
यही जमीन के वो कागजात हैं जिनमें लक्ष्मी बेन के अलावा सिलपीबेन को भी आसाराम की पत्नी दिखाया गया है.