लाभ के पद को लेकर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार के बीच विपक्ष AAP के समर्थन में एकजुट होता दिख रहा है. पहले तृणमूल कांग्रेस, फिर CPIM के समर्थन के बाद अब शरद यादव ने AAP का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग की सिफारिश को अलोकतांत्रिक बताया है.
वहीं चुनाव आयोग पर उठ रहे सवालों के बीच शिवसेना के संजय राउत ने कहा है कि चुनाव आयोग का फैसला सवालों के घेरे में है. ऐसे फैसले दिए जाने पर चुनाव आयोग से सवाल होना सामान्य है. इसके लिए खुद आयोग जिम्मेदार है.
शरद यादव ने ट्वीट किया, 'AAP विधायकों की सदस्यता रद्द करना अलोकतांत्रिक है, क्योंकि उनका पक्ष सुना ही नहीं गया है, ये न्याय के खिलाफ है. आजकल देश की संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. लोगों से अपील है कि वे इस पर गहनता से विचार करें, देश का भविष्य किनके हाथों में सुरक्षित है.'
Disqualification of AAP MLAs was undemocratic as they were not even heard which is against natural justice. Constitutional bodies in d country are being misused now a days.Appeal to public at large to deeply think about which hands d country will be secured in future.
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) 20 January 2018
'संदेह के घेरे में EC की निष्पक्षता'
माकपा की वृंदा करात ने कहा कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता के खिलाफ चुनाव आयोग का फैसला अलोकतांत्रिक है. इससे स्वायत्त, स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था के तौर पर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता नहीं बढ़ेगी. करात ने कहा, 'हम चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध करते हैं.'
Brinda Karat: EC decision to disqualify 20 AAP MLAs is undemocratic & selective in procedure & substance. It does not enhance the credibility of the election commission as an autonomous, independent, impartial body. We strongly oppose the decision of the EC.#AAPMLAsDisqualified
— CPI (M) (@cpimspeak) 20 January 2018
माकपा ने बताया जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी
माकपा की ओर से कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति से की गई सिफारिश दुर्भाग्यपूर्ण है. गुजरात चुनाव की घोषणा में देर करना हो या लाभ के पद पर AAP विधायकों की अयोग्यता का अभी लिया गया फैसला हो, आयोग की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है. यह जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी है.
तृणमूल कांग्रेस का AAP को समर्थन
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राजनीतिक बदले के लिए संवैधानिक संस्था का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ममता ने कहा, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया. सीएम ममता ने कहा कि ऐसे वक्त में उनकी पार्टी AAP व केजरीवाल के साथ है.
A Constitutional body cannot be used for political vendetta. The 20 AAP MLAs were not even given a hearing by the Hon EC. Most unfortunate. This goes against the principles of natural justice.At this hour we are strongly with @arvindkejriwal and his team
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) 19 January 2018