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मेघालय: खदान में मजदूरों की खोज का 18वां दिन, रेस्क्यू में पानी बना संकट

मेघालय की अवैध रैट होल माइन में 13 दिसंबर की सुबह 15 मजदूर उस वक्त फंस गए, जब पास की नदी का पानी खनन करते समय सुरंगों में भर गया. एनजीटी  इस तरह के खनन को 2014 में ही अवैज्ञानिक और असुरक्षित बताते हुए प्रतिबंध लगा चुकी है.

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बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ के जवान (फोटो-पीटीआई)
बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ के जवान (फोटो-पीटीआई)

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मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के अवैध कोयला खदान में फंसे 15 खनिकों की तलाश लगातार जारी है. इस बीच भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने सोमवार को दोबारा खदान में घुसने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहें. गोताखोरों का कहना है कि शाफ्ट के अंदर जलस्तर 30 मीटर की सुरक्षित गोताखोरी सीमा तक घटने के बाद ही खोजबीन सहज हो पाएगी. लिहाजा हाईपावर पम्प से पानी निकालने का कार्य जारी है.

खदान में जलभराव सबसे बड़ी बाधा

अभियान से जुड़े एक अधिकारी आर सुस्नगी ने कहा कि अभियान के 18वें दिन नौसेना के गोताखोर उच्च तकनीकी उपकरण अंडर वॉटर रिमोटली ऑपरेटिड व्हीकल (यूडब्ल्यूआरओवी) के साथ तीन घंटे तक शाफ्ट के अंदर रहें, लेकिन इसमें दृश्यता एक फुट रही जो बहुत कम है. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने प्रशासन को सुझाव दिया है कि खनन शाफ्ट के अंदर से पंपों की मदद से पानी निकालकर जलस्तर करीब 30 मीटर (98 फुट) तक या सुरक्षित गोताखोरी सीमा तक कम किया जाए, उसी के बाद गोताखोरी शुरू की जाएगी.

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नौसेना का कहना है कि सभी उपाय किए जा रहे हैं ताकि सुनिश्चित हो कि गोताखोरों के लिए कोई संकट पैदा न हो जाए. मेघालय में नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोरों ने कोयला खदान में फंसे खनिकों की तलाश और बचाव कार्य सोमवार को दोबारा शुरू किया. पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में 370 फुट गहरी अवैध कोयला खदान में पास की नदी से पानी चले जाने के बाद से 13 दिसंबर से 15 खदानकर्मी फंसे हुए हैं.

राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

इस बीच अब तक फंसे हुए खनिकों को निकालने नाकामयाब रही राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी होने लगे हैं. कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं ने शिलांग स्थित पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में कोनराड संगमा की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ सांकेतिक प्रदर्शन कर फंसे खनिकों के बचाव कार्य में ढीला रवैया अपनाने का आरोप लगाया. महिला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जोपलिन स्कॉट शायला ने कहा, "सरकार नींद में सोई थी। बचाव कार्य की धीमी गति पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा खेद जताए जाने के बाद सरकार जगी है.

बता दें कि इस बचाव अभियान में भारतीय नौसेना के 14, एनडीआरएफ के 72, ओडिशा अग्निशमन दस्ता के 21, कोल इंडिया लिमिटेड के 35 अधिकारियों समेत 200 बचावकर्मी जुटे हुए हैं. कोल इंडिया लिमिटेड के महाप्रबंधक (पूर्वोत्तर कोयला क्षेत्र) जे. बोराह ने कहा कि 500 गैलन प्रति मिनट पानी निकालने वाला एक सबमर्सिबल पम्प इलाके में पहुंचा दिया गया है. इसके अलावा दो अन्य पम्प, पाइप और अन्य साजो सामान जो जयंतिया या शिलांग में उपलब्ध नहीं हैं, कल भेजे जाएंगे.

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एजेंसियों में समन्वय की कमी

खनन विशेषज्ञ और अवार्ड विजेता बचावकर्मी जसवंत सिंह गिल ने प्रदेश सरकार और बचाव एजेंसी के बीच समन्वय की कमी होने पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव होने के कारण बचाव कार्य काफी धीमी रफ्तार से से चल रहा है.

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