उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी सरकार के अल्पमत में होने के विपक्ष के दावे को बेबुनियाद और सरकार को बदनाम करने की ‘मिलीजुली बड़ी राजनीतिक साजिश’ का हिस्सा करार दिया और राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विधानसभा की कार्यवाही महज डेढ़ घंटे के अंदर अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने का ठीकरा भी विपक्ष के सिर फोड़ा.
मायावती ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने के फौरन बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘प्रदेश के विभाजन के प्रस्ताव को राजनीतिक स्टंट बताना गलत है. हमारी सरकार वर्ष 2007 में प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही इसके लिये बराबर पहल कर रही थी लेकिन केन्द्र के निर्णय नहीं लेने पर हमारी सरकार को प्रदेश की जनता के हित में यह कदम उठाना पड़ा. इसलिये कैबिनेट में अनुमोदित कराकर हमने यह प्रस्ताव सदन में पास कराया.’
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के अल्पमत में होने के विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से विपक्ष के लोग हमारी सरकार के अल्पमत में होने की तथ्यहीन बात कह रहे हैं. मैं इनका खंडन करती हूं. यह हमारी सरकार को कमजोर बनाने की मिलीजुली बड़ी सियासी साजिश है. मैं विरोधियों से पूछना चाहती हूं कि वे किस आधार पर मेरी सरकार को अल्पमत में बता रहे हैं.’
सरकार को अल्पमत में बताने के लिये दिये जा रहे विपक्ष के तर्को को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर नए परिसीमन के कारण हमारी पार्टी के कुछ नेता सीटों पर समीकरण बिगड़ने के कारण स्वेच्छा से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं तो क्या वे हमारे सदस्य नहीं रहे.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारे कुछ मंत्रियों और विधायकों की लोकायुक्त की जांच चल रही है. कुछ की जांच पूरी होने पर उनसे इस्तीफा लिया गया और कुछ को हटाया भी गया ताकि सरकार पर उन्हें बचाने का आरोप नहीं लगे. मैं विरोधियों से सवाल करती हूं कि क्या अब वे हमारी पार्टी के निर्वाचित सदस्य नहीं रहे.’
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को सबसे पहले आंध्र प्रदेश और केन्द्र की सरकार पर नजर डालनी चाहिये. आंध्र में जहां पृथक तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर कई विधायक और सांसद इस्तीफा सौंप चुके हैं, जिन पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. वहीं केन्द्र सरकार के कई मंत्री तथा सांसद भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण दिल्ली की जेल में बंद हैं.
मायावती ने कहा, ‘विपक्षी दल उस स्थिति में उन सरकारों को अल्पमत की सरकार करार नहीं देते. जब यह सब उत्तरप्रदेश में होता है तो वे सरकार को अल्पमत में बताते हैं. यह मिलीजुली बड़ी साजिश है. यह उनकी दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.’
सरकार के पास स्पष्ट बहुमत से ज्यादा संख्या बल होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार के पास आवश्यक संख्या बल से कहीं ज्यादा सदस्यों का समर्थन है. कुछ अन्य दलों के भी 12 से ज्यादा सदस्य हमारे साथ आ चुके हैं.’
सरकार के विरुद्ध सपा और भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव नहीं लिये जाने के सम्बन्ध में मायावती ने कहा कि सदन में लेखानुदान मांग पारित हो जाने को ही विश्वासमत की प्राप्ति माना जाना चाहिये. इससे पहले वर्ष 2006 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने भी ऐसे ही विश्वासमत प्राप्त किया था. सदन नियमों के अनुसार चला. यह पूछे जाने पर कि राज्य के विभाजन जैसे गम्भीर विषय पर सदन में चर्चा क्यों नहीं करायी गयी, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम चर्चा कराना चाहते थे लेकिन विपक्ष ही ऐसा नहीं चाहता था.’
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस, भाजपा और सपा उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के जबर्दस्त खिलाफ हैं क्योंकि ये पार्टियां इस राज्य का विकास होते नहीं देखना चाहती. सदन की कार्यवाही जल्द ही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हुई इसके लिये विपक्ष ही जिम्मेदार है.’ सरकार द्वारा समय से पहले ही विधानसभा को भंग कर दिये जाने की सम्भावनाओं सम्बन्धी सवाल पर मायावती ने कहा, ‘हमारे पास पूर्ण बहुमत है. हम क्यों विधानसभा भंग करेंगे.’