चर्च से मिले तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने वैध मानने से इनकार कर दिया है. गुरुवार को सर्वोच्च अदालत ने इस मांग से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया.
क्या कहा अदालत ने?
अदालत ने साफ किया कि सिर्फ इंडियन डाइवोर्स एक्ट के तहत मान्यता प्राप्त अदालतें ही तलाक दे सकती हैं और चर्च से मिलने वाला तलाक कानूनी तौर पर वैध नहीं है.
याचिका में क्या था?
इस बाबत दायर याचिका में मांग की गई थी कि चर्च से मिले तलाक पर सिविल कोर्ट की मुहर लगाना जरुरी ना हो. ईसाइयों की मान्यता के मुताबिक पादरियों को तलाक पर मुहर लगाने का अधिकार दिया गया है.
याचिका में याद दिलाया गया था कि चर्च के तलाक लेने के बाद दूसरी शादी करने वाले कुछ लोगों को पॉलीगेमी यानी बहुविवाह के मुकदमे का सामना करना पड़ा था.
सरकार का रुख
मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने याचिका का विरोध किया था. सरकार का कहना था कि इंडियन क्रिस्चियन मैरिज एक्ट और भारतीय तलाक कानून पहले से लागू हैं और इस तरह के मामलों का निपटारा इन्हीं कानूनों के तहत होना चाहिए.