दिल्ली-एनसीआर में इस दिवाली पर पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही है. ऐसे में त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय का एक ट्वीट विवाद के घेरे में आ गया है.
मंगलवार को अपने ट्वीट में रॉय ने लिखा- ‘कभी दही हांडी, आज पटाखा, कल को हो सकता है कि प्रदूषण का हवाला देकर अवॉर्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे.’
कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओ की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे !— Tathagata Roy (@tathagata2) October 10, 2017
इंडिया टुडे से फोन पर बातचीत में राज्यपाल ने साफ किया कि वो एक हिन्दू होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नाखुश हैं, क्योंकि ये समुदाय को उसके उत्सव से जुड़े एक अहम पहलू से वंचित करता है.
मालूम हो कि बीजेपी नेता से राज्यपाल बने तथागत रॉय को सोशल मीडिया पर कुछ मुद्दों पर उनके हार्ड-लाइन रुख के लिए जाना जाता है. हाल में उन्होंने रोहिंग्या के लिए ‘कचरा’ कहने वाला विवादित बयान दिया था.
Since morning I am being trolled by Islamists and stooges for having said we shouldn't accept Rohingiya garbage. Proves I'm on right track
— Tathagata Roy (@tathagata2) September 10, 2017
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लेखक चेतन भगत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने को गैर-जरूरी बताया था. उन्होंने सवाल किया कि किस आधार पर किसी की परंपराओं पर बैन लगाया जा रहा है?
SC bans fireworks on Diwali? A full ban? What’s Diwali for children without crackers?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
चेतन भगत ने एक ट्वीट में लिखा, 'बिना पटाखों के बच्चों के लिए दिवाली का क्या मतलब है?' लेखक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का बैन परंपराओं पर चोट है. उन्होंने कहा कि बैन की जगह रेगुलेशन बेहतर विकल्प हो सकता था. चेतन भगत ने मामले में अपनी नाखुशी जाहिर करने के बाद प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए कई सुझाव भी दिए थे.
उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत सुधारना भी प्रदूषण पर लगाम लगाने का एक बढ़िया विकल्प हो सकता है. उन्होंने लिखा, 'नए विचारों के साथ आइए, बैन के साथ नहीं.' दिल्ली-एनसीआर की खराब आबो-हवा सुधारने के लिए चेतन ने एक हफ्ते के लिए बिजली और कारों का इस्तेमाल नहीं करने का भी सुझाव दिया.
Banning crackers on Diwali is like banning Christmas trees on Christmas and goats on Bakr-Eid. Regulate. Don’t ban. Respect traditions.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
भगत ने यह भी कहा था कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन क्यों लगाने की हिम्मत क्यों दिखाई जाती है? क्या जल्द ही बकरियों की बलि और मुहर्रम के खूनखराबे पर भी रोक लगेगी? जो लोग दिवाली जैसे त्योहारों में सुधार लाना चाहते हैं, मैं उनमें यही शिद्दत खून-खराबे से भरे त्योहारों को सुधारने के लिए भी देखना चाहता हूं.'