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डीके शिवकुमार बोले- लालच में न पड़ें MLA, पद छिनेगा, नहीं बनेंगे मंत्री

कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार ने कहा,मैं अपने मित्रों (बागी विधायकों) को चेतावनी देना चाहता हूं. पागलपन न करें. वे आपको टोपी पहना रहे हैं. भागो मत, आपको अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है.

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कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार (ANI)
कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार (ANI)

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कर्नाटक कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 'विधानसभा स्पीकर ने कहा था कि पार्टी का नेता अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर सकता है. इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. संविधान के अनुच्छेद 164 (आई) बी के मुताबिक जो भी नेता दूसरे दल में शामिल होगा उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बागी विधायकों को समझाने की कोशिश कर रही है कि उनकी सदस्यता नहीं रद्द की जाएगी और उन्हें सरकार बनते ही मंत्री बना दिया जाएगा.'

शिवकुमार ने कहा कि 'ऐसा होगा नहीं. मैं अपने मित्रों (बागी विधायकों) को चेतावनी देना चाहता हूं. पागलपन न करें. वे आपको टोपी पहना रहे हैं. भागो मत, आपको अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है.'

एक अन्य बयान में डीएके शिवकुमार ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था. उन्हें 11 बजे दिन का समय दिया गया था लेकिन वे मौजूद नहीं हुए. बीजेपी उन्हें समझा रही है कि उनकी सदस्यता रद्द नहीं होगी लेकिन एक बार सदस्यता रद्द हुई तो वे मंत्री नहीं बन सकते.'

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गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा सौंप चुके कांग्रेस के बागी 12 विधायकों को सुनवाई के लिए समन भेजा है. कांग्रेस पार्टी ने व्हिप का उल्लंघन करने वाले इन विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया है. विधानसभा अध्यक्ष के सचिव एम.के. विशालक्ष्मी ने एक बयान में कहा, "सभी 12 कांग्रेस के बागियों को अयोग्य ठहराए जाने के नियम के तहत नोटिस भेजा गया है."

इस बीच मुंबई में मौजूद बागियों ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश होने के लिए अधिक समय की मांग की है. विधानसभा अध्यक्ष ने बागियों को यह भी बताया कि कांग्रेस पार्टी के नेता सिद्धारमैया ने 18 जुलाई को उनसे आग्रह किया कि विधानसभा से गैरमौजूदगी के मद्देनजर विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए. इस बीच बागियों ने कहा कि अयोग्य ठहराए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि वे पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और इसीलिए उन्हें विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

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