डीएमके के समर्थन वापस लेने के बाद यूपीए सरकार ने साफ किया है कि मानवाधिकार मुद्दे पर भारत श्रीलंका के तमिलों के साथ है. और इस मुद्दे पर संसद में प्रस्ताव लाने पर आखिरी फैसला बुधवार शाम तक लिया जाएगा.
सरकार का पक्ष रखते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि हम श्रीलंका के तमिलों के साथ हैं. भारत श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच के पक्ष में है.
चिदंबरम ने डीएमके समर्थन वापसी के पूरे घटनाक्रमों का ब्यौरा देते हुए कहा, '19 मार्च की सुबह से लेकर 19 मार्च की रात के बीच ऐसा क्या हुआ कि डीएमके ने समर्थन वापस ले लिया. हमें नहीं पता, डीएमके ने ऐसा क्यों किया.'
संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव
लाने के बारे में उन्होंने कहा कि इस पर फैसला बुधवार शाम तक किया जाएगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि UNHRC के प्रस्ताव पर भारत संशोधन लाएगा. इसके संबंध में मंगलवार को ही मसौदा तैयार कर लिया गया है जिस पर चर्चा की जाएगी.
वहीं संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि संसद में प्रस्ताव लाने पर दूसरे दलों से चर्चा हो रही है. इस पर आखिरी फैसला कोर ग्रुप करेगा.
प्रस्ताव को लेकर शरद पवार की नाराजगी के सवाल पर कमलनाथ ने कहा, 'मैंने शरद पवार से बात की है इस मुद्दे पर एनसीपी हमारे साथ है.' हालांकि सूत्रों की माने तो यूपीए के अहम सहयोगी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाने के हक में नहीं हैं.
यह पूछे जाने पर कि जब डीएमके ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया तो प्रस्ताव लाने की क्या जरूरत है तो इसके जवाब में चिदंबरम ने कहा कि यह प्रस्ताव डीएमके के लिए नहीं लाया जा रहा है. बल्कि 8 करोड़ तमिलों के भावनाओं का ख्याल रखते हुए यह प्रस्ताव लाया जा रहा है.