श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर द्रमुक ने मंगलवार रात यूपीए से अपना समर्थन वापस ले लिया और पुनवर्विचार की किसी संभावना से इनकार किया. यह एक ऐसा कदम है जिससे सरकार के लिए संसद में बहुमत होने के दावे के बावजूद मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है.
टीआर बालू के नेतृत्व में द्रमुक के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार रात साढ़े दस बजे राष्ट्रपति भवन में पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि का पत्र राष्ट्रपति को सौंपा, जिसमें संप्रग सरकार से पार्टी के 18 लोकसभा सांसदों का समर्थन वापस लेने की बात कही गई है.
बालू ने समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा कि द्रमुक के मंत्री बुधवार को अपने इस्तीफे सौंपने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलेंगे.
फैसले पर पुनर्विचार की संभावनाओं के संबंध में सवाल करने पर बालू ने कहा कि समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के बाद पुनर्विचार की संभावना कहां रह जाती है. द्रमुक द्वारा संप्रग को बाहर से समर्थन देने पर किए गए सवालों को टालते हुए बालू ने कहा, ‘हम वही करेंगे जो फैसला हमारे नेता (करुणानिधि) करेंगे.’
द्रमुक अपनी इस मांग के लिए दबाव बना रही है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिका समर्थित प्रस्ताव में संशोधनों को रखना चाहिए, ताकि परिषद वहां हुए श्रीलंकाई तमिलों के ‘नरसंहार’’ की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान करे.