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DMRC ला रही है प्रीमियम कोच की योजना, ज्यादा किराया देकर मिलेगा भीड़ से निजात

दिल्ली में ऑड-ईवन के लिए अपनी गाड़ियां छोड़कर मेट्रो में सफर करने वालों के लिए डीएमआरसी नई सौगात लाने की योजना बना रही है. अब अपनी गाड़ियों की बजाए मेट्रो में सफर करने वालों के लिए एक अलग प्रीमियम कोच रिजर्व करने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो लोग ज्यादा किराया चुकाकर मेट्रो की भीड़भाड़ से बच सकते हैं.

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दिल्ली मेट्रो ला सकती है प्रीमियम कोच
दिल्ली मेट्रो ला सकती है प्रीमियम कोच

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दिल्ली में ऑड-ईवन के बाद अब मेट्रो के प्रीमियम कोच के लिए भी तैयार रहिए. डीएमआरसी के सूत्रों पर यकीन करें तो, दिल्ली मेट्रो प्रीमियम किराया वाला कोच रिजर्व करने को राजी है और सबकुछ तय योजना के मुताबिक रहा, तो आने वाले दिनों में आप ज्यादा किराया देकर मेट्रो के प्रीमियम कोच में भीड़भाड़ वाले सफर से बच सकते हैं. डीएमआरसी के अफसरों के मुताबिक ऐसा करना मुश्किल ज़रूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं.

लोग सरकार का साथ देने के लिए मेट्रो में सफर करने के लिए तैयार तो हैं लेकिन उसमें सफर करना मुश्किलों से भरा भी होता है. अब ऐसे लोगों के लिए भी योजना तैयार हो रही है, जो कार छोड़ने को तो तैयार हैं, लेकिन उन्हें परेशानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होने वाली धक्कामुक्की से है. इसी का एक हिस्सा मेट्रो ट्रेन में रिजर्व प्रीमियम कोच भी है. साथ ही डीटीसी की प्रीमियम बसें भी चलाने की योजना है. मतलब ज्यादा किराया देकर आप प्रीमियम मेट्रो और बसों में सफर कर सकते हैं.

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परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा, 'मेट्रो अपनी तैयार योजना कर रही है, लेकिन हम दिल्ली सरकार की तरफ से डीटीसी की प्रीमियम बसें ज़रूर चलाने जा रहे हैं.

सैद्धांतिक तौर पर डीएमआरसी प्रीमियम कोच के लिए तैयार है, लेकिन प्रीमियम कोच या प्रीमियम ट्रेन चलाने में मेट्रो को दिक्कतें भी कम नहीं होंगी.

मेट्रो की ज्यादातर ट्रेन चार, छह और आठ कोच वाली हैं. अगले साल तक शुरु होने वाले तीसरे फेज में सारी ट्रेनें छह कोच वाली होंगीं. मेट्रो में एक कोच महिलाओं के लिए रिजर्व है, ऐसे में एक कोच प्रीमियम किराया देने वाले मुसाफिरों के लिए रिज़र्व कर दिया जाएगा, तो बाकि बचे कोच में भीड़ सामान्य मुसाफिरों के लिए मुसीबत बन सकती है.

दिल्ली मेट्रो की फिलहाल 6 लाइनें हैं, इन पर रोजाना 198 मेट्रो करीब 3000 फेरे लगाती है. रोजाना करीब 28 लाख लोग इसमें सफर करते हैं. मुसाफिरों की संख्या कुछ खास मौकों पर 32 लाख तक पहुंच चुकी है. लेकिन हकीकत ये भी है कि कार छोड़ने के एवज में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुविधाएं चाहते हैं, खासतौर से मेट्रो में.

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