मुंबई हमलों की जांच को ‘‘जानबूझकर दबाने’’ के भारत के आरोपों के बीच पाकिस्तान ने सोमवार को कहा कि नई दिल्ली को इसकी ईमानदारी के बारे में आरोप लगाने के बजाय ठोस सबूत देकर जांच में मदद करना चाहिए.
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने कहा, ‘‘इस मामले को निपटाने में हमारी ईमानदारी पर भारत को संदेह नहीं करना चाहिए. आरोप लगाने के बजाय उन्हें हमें ठोस सबूत मुहैया कराने चाहिए ताकि हम इस मामले को सार्थक ढंग से आगे ले जा सकें.’’ बासित ने कहा कि पाकिस्तान न्यायालय मुंबई हमलों के बारे में सूचनाओं संबंधी भारत द्वारा मुहैया कराये गये डोजियर पर गौर करेगा.‘‘ हम भारत को यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह पूरी तरह से न्यायिक मामला है तथा पाकिस्तान एवं भारत की सरकारें इस बारे में कुछ नहीं कर सकतीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘डोजियर के बारे में केवल अदालतें ही फैसला कर सकती हैं.’’
उन्होंने यह भी कहा कि हमलों के सिलसिले में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किये गये पांच संदिग्धों के खिलाफ अदालती कार्रवाई शुरू हो गयी है. यह मामला अदालत में विचाराधीन है और इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.’’ लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के खिलाफ मुकदमा चलाने में पाकिस्तान की अनिच्छा संबंधी गृह मंत्री पी चिदंबरम की टिप्पणी के बारे में पूछने पर बासित ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की जुलाई में शर्म अल शेख में हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य की भावना के विपरीत है. भारत ने मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता पर रोक लगा दी. इन हमलों के लिए लश्करे तैयबा पर आरोप लगाया जा रहा है. चिदंबरम ने शनिवार को पाकिस्तान पर 26/11 जांच को जानबूझकर दबाने का आरोप लगाया था.