नोटबंदी की प्रक्रिया को शुरू हुए 35 दिन बीत जाने के बाद भी स्थिति साफ होने का नाम नहीं ले रही है. जहां आम आदमी को अपनी ही बचत का पैसा निकालने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है वहीं नए करेंसी नोट गैर कानूनी तरीके से जुगाड़ वाले लोगों के पास पहुंच रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश में नोटबंदी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद 160 करोड़ रुपए जब्त किए जा चुके हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि नोटबंदी को लेकर क्या हमारी बैंकिग व्यवस्था फूलप्रुफ है?
ऐसे ही सवालों पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव ऋषि से बात की गई तो उनका कहना था कि ये जांच का विषय है. आम तौर पर ऐसा होता है कि जब भारतीय रिजर्व बैंक से कैश हमें मिलता है तो ये करेंसी चेस्ट में जाता है. हर ब्रांच में इसका पूरी तरह रिकॉर्ड रखा जाता है. इसे 'कैश इन हैंड' के तौर पर रजिस्टर किया जाता है. फिर ये रिकॉर्ड रखा जाता है कि अलग-अलग खातों से कितना कैश बांटा गया. ये सब कंप्यूटर सिस्टम में दर्ज होता है. हम खुद हैरान है कि ये कहां हो रहा है.'
RBI के सूत्रों के मुताबिक बैंक की हर ब्रांच को कम से कम 1 करोड़ की करेंसी आवंटित की जाती है. यहां से बैंक उत्तरदायी होते हैं कि पैसे को खाताधारियों को ट्रांसफर करना सुनिश्चित किया जाए. सिस्टम की लीकेज को समझने के लिए करेंसी प्रिटिंग और उनके ट्रांसफर रूट पर नजर डालनी होगी.
देश में 4 करेंसी नोट प्रिटिंग प्रेस हैं. दो करेंसी प्रिंटिग प्रेस RBI के अधीन देवास और नासिक में हैं. इनके अलावा दो करेंसी प्रिंटिंग प्रेस मैसुरू और सालबोनी में हैं. इनका संचालन RBI की इकाई भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया जाता है. इन करेंसी प्रिटिंग प्रेस से नए छपे नोट देशभर में RBI की क्षेत्रीय ब्रांचों तक पहुंचाए जाते हैं. इस पूरे रूट पर हर कदम पर कड़ी सुरक्षा बरती जाती है. नोटों को सीलबंद बॉक्सों में इधर से उधर ले जाया जाता है.
आयकर विभाग ने की कारवाई
देश में RBI की 30 क्षेत्रीय ब्रांच हैं. यहां से नोट हर बैंक की केंद्रीय ब्रांच को भेजे जाते हैं. रूट का ये जो आखिरी पड़ाव है, यहीं पर व्यवस्था में कुछ जगह दरार पाई गई है. आयकर विभाग की ओर से पथभ्रष्ट बैंक
अधिकारियों के खिलाफ हालिया कार्रवाई से पाया गया कि इन अधिकारियों ने फर्जी खातों के जरिए सिस्टम का दुरुपयोग किया और नई करेंसी को गैरकानूनी ढंग से निकलवाया.
राजीव ऋषि का कहना है, हम 20 लाख बैंक कर्मचारियों और असंख्य बैंक ब्रांचों की बात करें तो नोटबंदी के बाद 99.9 फीसदी बैंक और ब्रांच पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम कर रहे हैं. ऐसे में कुछ खराब कर्मचारियों को हमारी कोशिशों का नुमाइंदा नहीं हो सकते.
काले धन के खिलाफ मुहिम में बेंगलुरू में RBI के एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम आऩे के बाद भारतीय बैंकों ने खुद का टास्क फोर्स गठित किया है. साथ ही वो जांच में पूरी मदद कर रहे हैं. राजीव ऋषि ने कहा कि बैंकों से हमारी सतर्कता टीमें देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रही हैं. वो ब्रांचों में जाकर खुद सुनिश्चित कर रही हैं कि इस तरह की कोई भी गलत चीज वहां ना हो.