इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 18वें संस्करण के अहम सत्र में मैग्सेसे अवॉर्ड और सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेता बेजवाड़ा विल्सन ने शिकरत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का स्वच्छ भारत मिशन शौचालय का निर्माण करता है और यह लोगों को मैला ढोने से नहीं बचाता है. मुझे स्वच्छ भारत मिशन समझ नहीं आता है.
उन्होंने कहा कि मैं एक बात बताना चाहता हूं इस देश में जब आप यह बताते हैं कि आप अछूत हैं तो आपकी जिंदगी अपने आप में एक मुसीबत हो जाती है. अछूत बहुत बड़ी समस्या है. हम समानता के लिए लड़ते हैं लेकिन इसका कोई कंसेप्ट ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि सफाई क्या है. जिसके बारे में हम सब बात करते हैं. हमें लगता है सिर्फ झाड़ू लगाना. ऐसा नहीं है. लोगों के मन को साफ करना भी सफाई है. विल्सन ने कहा कि यहां कानून ऐसा है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग(सफाई) में कोई बदलाव नहीं हुआ. इस चक्र को समाप्त करने के लिए जिम्मेदार लोग बिना रुके आगे बढ़ रहे हैं.
वहीं दलित कार्यकर्ता बीना पल्लीकल ने कहा कि एक दलित महिला दलित पुरुष के मुकाबले तीन बार ज्यादा उत्पीड़ित होती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने गायों के कल्याण के लिए दलित महिलाओं की तुलना में अधिक धन आवंटित किया है.
'दलितों की आवाज उठाने के लिए गाता हूं गीत'
दलित कार्यकर्ता और गायक बंत सिंह ने कहा कि मैंने दलितों की आवाज उठाने के लिए गीत गाता हूं. इंसान को कभी किसी से पैसा नहीं लेना चाहिए. हमारी आवाज उठाने से बदलाव हुआ है लेकिन जब भी कुछ होने लगता है तो चुनाव आ जाता है. जब चुनाव आता है तो शराब बंटती है.
बंत सिंह ने इस दौरान कई तरह के गाने अपने कई गाने भी गाए. बंत सिंह 40 साल से पंजाब और देश भर के देहात में गा-गाकर दलितों, वंचितों के हक की बात करते हैं. पंजाब के देहात में खेतिहरों और मजदूरों के नेता.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि किसानों को दोगुनी लागत देंगे, बेरोजगारों को नौकरी देंगे, लेकिन पिछले 5 साल में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.