डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार चीन गए थे और चीन पर ट्रंप के विचार बहुत तीखे रहे हैं. ऐसे में चीन ने ट्रंप का सम्राटों की तरह स्वागत करके एक तरह से खुश करने की कोशिश की. ट्रंप ने बिज़नेस डील भी की, और चीन को अमेरिकी कंपनियों के बिज़नेस के लिए कुछ और दरवाज़े खोलने पर मजबूर भी किया.
लेकिन उसके बाद जब ट्रंप वियतनाम पहुंचे तो चीन की हर खातिरदारी को किनारे लगा दिया. चीन के लिए चिढ़ाने वाली बात ये रही कि वियतनाम में ट्रंप ने जिनपिंग का नाम नहीं लिया, बल्कि नरेंद्र मोदी का नाम ले लिया.
चीन से निकलते ही ट्रंप की जुबान पर 'मोदी-मोदी'
दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को चिढ़ाते हुए कहा कि जब से भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के दरवाज़े खोले हैं. तब से भारत ने अपने मध्यम वर्ग के लिए अवसरों की एक नई दुनिया बनाई है. प्रधानमंत्री मोदी इस विशाल देश और अपने सभी लोगों को एक करने में लगे हैं. और वास्तव में वो बहुत बड़ी सफलता के साथ काम कर रहे हैं.
भारत की कामयाबी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा, और वो भी एशिया पैसेफिक के 21 देशों के उस मंच से, जिस मंच पर भारत नहीं होता है. जिस मंच पर अमेरिका के साथ सबसे बड़ी ताकत चीन बन चुका है. डोनाल्ड ट्रंप की ये बात चीन को बहुत चुभ रही होगी, क्योंकि पिछले तीन दिन से वो डोनाल्ड ट्रम्प की ऐसी खातिरदारी में लगा था. जिसमें राजाओं जैसा सत्कार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. लेकिन ये सब सत्कार ट्रंप ने चीन से निकलते ही एक झटके में बेकार कर दिया.
चीन ने ट्रंप के इस दौरे से अमेरिका और चीन के टकराव के बीच एक नई दिशा देने वाला बताने की कोशिश की. चीन से टकराव वाली नीतियां बनाने के संकेत दे रहे डोनाल्ड ट्रम्प को खुश करने के लिए जिनपिंग ने जाते जाते ट्रंप को कई गिफ्ट भी दिए.
- अमेरिका और चीन के बीच 20 हज़ार करोड़ डॉलर के व्यापार समझौते किए गए.
- जेट इंजन से लेकर, गाड़ियों के पार्ट्स और शेल गैस के समझौते शामिल थे.
- ट्रंप के जाते ही जिनपिंग ने चीन के बैंकिंग सेक्टर में विदेशी कंपनियों के लिए मालिकाना हक के नियम नरम कर दिए.
- चीन में तीन दिन रहने के बाद जैसे ही ट्रंप वियतनाम में पहुंचे, फिर चीन की खिंचाई करने लगे.
- चीन गलत तरीकों से व्यापार करता है, दूसरों का फायदा उठाता है, उनकी मुश्किल बढ़ाता है, जिससे बैलेंस बिगड़ा है.
वियतनाम पहुंचते ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'अभी मैं चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से खुली और सीधी बात करके आया हूं, जिसमें चीन के गलत तरीकों से व्यापार करने की प्रैक्टिस की बात है. जिस तरह से व्यापार घाटा है. अब से हम सबको बराबरी के आधार पर व्यापार करने की बात करेंगे. हम किसी को अमेरिका का फायदा नहीं उठाने देंगे.'
जिस मंच पर डोनाल्ड ट्रंप ये बोल रहे थे, उसी मंच पर शी जिनपिंग को भी बोलना था. डोनाल्ड ट्रंप की बातें जिनपिंग के लिए बहुत कड़वी होंगी, वो भी तब जब इतना स्वागत सत्कार चीन में उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया का किया था. जिसमें पर्सनल केमेस्ट्री दिखाने की बड़ी कोशिश की गई.
वैसे शी जिनपिंग और उनकी पत्नी भी पहले भी ट्रंप से मिल चुकी थीं, जब वो ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अमेरिका पहुंचे थे. तब से ही डोनाल्ड ट्रंप शी जिनपिंग को अपना दोस्त बताते रहे हैं और ऐसे संकेत दे रहे थे कि शायद चीन पर ट्रंप की पुरानी बयानबाज़ी राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी नीतियों में नहीं दिखेगी.
फ्लोरिडा में शी जिनपिंग और उनकी पत्नी का डोनाल्ड ट्रंप और मेलानिया ट्रंप के साथ अप्रैल में डिनर और इसके 7 महीने बाद अब बीजिंग में ट्रंप और मेलानिया का दौरा, डोनाल्ड ट्रंप की चीन पर टोन कुछ कुछ बदली है. चीन पर व्यापार को लेकर दबाव और बार-बार एशिया पैसेफिक की जगह इंडो पैसेफिक का नाम लेकर एशिया में भारत का महत्व बताना, ये सब चीन को चिढ़ाता है.
डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक APEC के बाहर के देश भी इस इंडो पैसेफिक क्षेत्र में बड़े स्तर की कामयाबी पा रहे हैं. भारत अपनी आज़ादी के 70वें साल का जश्न मना रहा है. एक संप्रभु लोकतंत्र है. 100 करोड़ से ज़्यादा लोगों का ये दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जब से भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के दरवाज़े खोले हैं. तब से भारत ने अपने मध्यम वर्ग के लिए अवसरों की एक नई दुनिया बनाई है. प्रधानमंत्री मोदी इस विशाल देश के अपने सभी लोगों को एकजुट करने में लगे हैं और ये बहुत कामयाबी से कर रहे हैं.
भारत का नाम लेना ही चीन को चुभता है, जब से डोनाल्ड ट्रंप 12 दिन के एशिया के दौरे पर आए हैं तब से वो जापान से लेकर वियतनाम तक इंडो पैसिफेक नाम ही ले रहे हैं.