मनमोहन सिंह सरकार जिस आरटीआई एक्ट पर फख्र करती है वो ही अब आंखों की किरकिरी बन चुकी है. प्रणब-चिदंबरम के कलह से भन्नाई सरकार ने सभी राज्यों, मंत्रालयों और विभागों को एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें कहा गया है कि आरटीआई के जवाबों में जल्दबाजी ना दिखाएं.
प्रणब-चिदंबरम की लड़ाई में यूपीए सरकार के ऊपर जो खतरा मंडराया वो उपज है आरटीआई एक्ट का. आरटीआई के जवाब में टूजी पर प्रणब मुखर्जी के मंत्रालय से एक नोट क्या निकला एक जिन्न बनकर घोटाला पूरे सरकार पर मंडराने लगा. लेकिन अब इसका तोड़ जो सरकार ने निकाला है वो कम हैरान करने वाला नहीं है. आजतक के हाथ लगा ये सर्कुलर बताता है कि सरकार ने अब आरटीआई को ही कुचलने की तैयारी कर ली है.
16 सितंबर को सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी इस सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का हवाला देते हुए बताया गया है कि जो सूचना सार्वजनिक प्राधिकरण के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है. जो सूचना किसी भी तरह कानून बनाए रखने में मुश्किल पैदा कर सकता है. उस सूचना को इकट्ठा करना और आवेदक को मुहैया कराना मजबूरी नहीं है.
साफ है सरकार तमाम महकमों को समझा रही है कि कैसे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता और विपक्ष इसका विरोध कर रहे हैं.
भ्रष्टाचार की जगह आरटीआई को ही कुचलने की सरकार की तैयारी प्रणब दा और पी चिदंबरम के कलह के तत्काल बाद ही शुरू हो गई थी. जब सरकार ने आरटीआई पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस बुलाई.
अब टूजी का जिन्न सरकार के दबाए नहीं दब रहा और ये ही वजह है कि सरकार को अब आरटीआई एक्ट ही खटकने लगा है.