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कोशियारी-खंडूरी की बैठक को ज्यादा तूल नहीं दें: भाजपा

उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में 36 का आंकड़ा रखने वाले दो पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोशियारी और भुवन चंद्र खंडूरी की एक हफ्ते के दौरान लगातार दो बार बंद कमरे में हुई बैठक को भाजपा ने ज्यादा तूल नहीं देने का आग्रह किया है.

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उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले दो पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोशियारी और भुवन चंद्र खंडूरी की एक हफ्ते के दौरान लगातार दो बार बंद कमरे में हुई बैठक को भाजपा ने ज्यादा तूल नहीं देने का आग्रह किया है जबकि बैठकों के बाद राज्य में सत्तारूढ़ राजनैतिक दल के नेताओं के बीच अटकलें तेज हो गयी है.

भाजपा के सूत्रों ने आज यहां बताया कि खंडूरी और कोशियारी के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है जिसका कोई राजनैतिक मतलब निकाला जाये. यह दो नेताओं की शिष्टाचार भेंट है और दोनों नेताओं ने आपस में बातचीत की है. हालांकि बातचीत का मुद्दा मीडिया को जाहिर नहीं किया गया.

दूसरी ओर कोशियारी ने बताया कि उन्होंने कल खंडूरी से मुलाकात की थी और यह सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी. उन्होंने कहा ‘‘चूंकि खंडूरी गत रविवार को मुझसे मिलने आये थे इसलिये मैंने उनसे मिलना मुनासिब समझा.’’ कोशियारी से जब यह पूछा गया कि क्या इस बैठक का कोई राजनैतिक मतलब है और इसमें क्या राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कामकाज पर कोई चर्चा हुई है तो कोशियारी ने कहा कि निशंक बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं और बहुत ही बेहतर ढंग से सरकार चला रहे हैं.

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कोशियारी से जब यह पूछा गया कि क्या निशंक के कामकाज पर राज्य में कोई नया समीकरण बन रहा है तो उन्होने कहा ‘‘इस तरह की बातें कहां से आती हैं. निशंक बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं और बखूबी सरकार भी चला रहे हैं. निशंक के लिये कोई भी खतरा नहीं है.’’ दूसरी ओर खंडूरी ने कहा कि वह इस तरह की मुलाकातों के विषयों पर प्रेस से कोई चर्चा नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि बैठक में क्या बातचीत हुई, इस पर प्रेस के साथ चर्चा नहीं की जा सकती है.

राज्य में गत वर्ष कोशियारी के लगातार विरोध और दबाव के चलते ही खंडूरी को मुख्यमंत्री पद उस समय छोड़ना पड़ा था जब राज्य में भाजपा लोकसभा के आम चुनावों में पांच की पांचों सीटें हार गयी थी.

राजनैतिक गलियारों में कोशियारी और खंडूरी की मुलाकात को वर्ष 2012 में विधानसभा के लिये होने वाले आम चुनावों में पार्टी द्वारा मजबूती से उतरने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.

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