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राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी न दें: पूर्व जस्टिस

राजीव गांधी के हत्यारों को मृत्युदंड सुनाने वाली अदालत की एक पीठ के अध्यक्ष के.टी. थॉमस ने रविवार को कहा कि इस मामले के चार दोषियों को फांसी नहीं दी जानी चाहिए.

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राजीव गांधी
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राजीव गांधी के हत्यारों को मृत्युदंड सुनाने वाली अदालत की एक पीठ के अध्यक्ष के.टी. थॉमस ने रविवार को कहा कि इस मामले के चार दोषियों को फांसी नहीं दी जानी चाहिए.

थॉमस ने कहा कि दोषी मुरुगन, संथन और पेरारिवलन जेल में 22 वर्ष बिता चुके हैं, इसलिए उन्हें फांसी देने का मतलब होगा एक ही अपराध के लिए दो बार सजा देना. तीनों कैदी तमिलनाडु के वेल्लोर जेल में कैद हैं.

युवा सोच के नौजवान नेता थे राजीव गांधी
थॉमस ने कहा कि जेल में 22 वर्ष बिताने के बाद यदि दोषियों को मौत की सजा दी जाती है, तो यह एक तरह से एक ही अपराध के लिए दो बार सजा देने के बराबर होगा, यह संविधान के विरुद्ध है.

उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इन दोषियों की दया याचिका रद्द करने के निर्णय पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई. थॉमस ने कहा कि राष्‍ट्रपति को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि तीनों आजीवन कारावास की सजा से अधिक दिन सजा भुगत चुके हैं.

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दूरदर्शी प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी
वर्ष 1999 में सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायधीशों की पीठ ने मुरुगन, संथन, पेरारिवलन और मुरुगन की पत्नी नलिनी को मृत्युदंड सुनाया था. पीठ में न्यायाधीश थॉमस, न्यायमूर्ति डी.पी. वाधवा और न्यायमूर्ति एस.एस.एम कादरी शामिल थे.

थॉमस ने नलिनी को मृत्युदंड सुनाए जाने पर असहमति जताई थी. बाद में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने नालिनी की दया याचिका मंजूर कर ली थी और उसकी सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था. पेरारिवलन और मुरुगन भारतीय हैं, वहीं संथन श्रीलंकाई नागरिक है.

तमिल टाइगर के महिला आत्मघाती दस्ते ने 21 मई 1991 को चेन्नई के निकट एक चुनावी रैली में राजीव गांधी की हत्या कर दी थी.

चारों अभियुक्तों पर हत्या में सहायता करने का आरोप लगाया गया है. राजीव हत्याकांड में तमिल टाइगर प्रमुख वेलुपिल्लै प्रभाकरण भी वांछित था, जिसे 2009 में श्रीलंका में मारा गया.

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