पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को जिस तरह से अचानक स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाकर विज्ञान एवं तकनीकी, भू विज्ञान विभाग पकड़ा दिया गया, उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. समझा जा रहा है कि उन्हें दिल्ली में बीजेपी का चेहरा बनाया जाएगा और चुनाव में उनकी
सेवाएं ली जाएंगी. अगर पार्टी जीतती है तो वह सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.
दिल्ली में बीजेपी के पास फिलहाल कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे वह चुनाव में सीएम के तौर पर पेश कर सकें. इतना ही नहीं पार्टी के जीतने पर मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए, इसको लेकर भी काफी उठापटक होने की संभावना है. डॉक्टर हर्षवर्धन की छवि इस महानगर में काफी अच्छी है और उन्हें जनता का काफी समर्थन हासिल है. ऐसे में यह संभावना बनती है कि उन्हें जानबूझकर एक साधारण मंत्रालय दे दिया गया है ताकि वो कैबिनेट छोड़ें तो मंत्रिमंडल के कामकाज पर असर न पड़े.
हर्षवर्धन का मंत्रालय बदलने में जितनी गोपनीयता बरती गई, उसे देखकर सभी हैरान हैं. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक उन्हें रविवार की रात तक यह पता नहीं था कि उनका मंत्रालय बदला जाने वाला है. वह पोर्टफोलियो के बंटवारे के कुछ ही पहले शाम को ही अमित शाह से मिले थे. इस तरह से उन्हें पद से हटाने से बीजेपी के कुछ नेताओं में रोष है. अखबार ने हर्षवर्धन के एक निकट सहयोगी के हवाले से बताया कि इस बात से यह पता चलता है कि उनसे पीएम खुश नहीं थे. उनका काम-काज काफी ढीला-ढाला था. मोदी ने जिस नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस का वादा किया था, उसमें कोई काम नहीं हुआ था.
यह भी बताया जा रहा है कि आरएसएस भी हर्षवर्धन से खुश नहीं था क्योंकि उनसे उसका संवाद भी कम हो गया था. अब देखना है कि दिल्ली के चुनाव में हर्षवर्धन की क्या भूमिका होती है और अगर पार्टी जीतती है तो क्या उन्हें सीएम बनाया जाएगा.