अपनी नाबालिग बेटी आरुषि की हत्या में सह-आरोपी डॉ. राजेश तलवार ने दावा किया है कि जिस रात अपराध हुआ उस रात वे सो रहे थे. उन्होंने सीबीआई के इस आरोप को गलत बताया कि उनके कमरे में इंटरनेट गतिविधियां दर्ज होना इस बात का सुबूत है कि वह जाग रहे थे.
तलवार का बयान धारा 313 के तहत रिकॉर्ड किया जा रहा है, जहां सीबीआई के विशेष जज ने सीधे उनसे सवाल पूछे और उनके खिलाफ हालात और साक्ष्य को स्पष्ट करने का मौका दिया.
लाल ने तलवार से दो सत्र में करीब ढाई घंटे तक हुई पूछताछ में कुल 223 सवाल पूछे. आज की पूछताछ को मिलाकर तलवार अब तक जज द्वारा पूछे गए कुल 411 सवालों का जवाब दे चुके हैं.
तलवार के वकील मनोज सिसोदिया ने संवाददाताओं को यहां बताया कि जज ने 15 मई 2008 को हत्या की रात तलवार के रूटर से कई बार इंटरनेट पर एक्टिविटीज दर्ज किए जाने की बात कही, जिसपर तलवार ने कहा कि वह रात साढ़े ग्यारह बजे के बाद सो गए थे और उन्होंने इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं किया.
सीबीआई का दावा है कि राजेश तलवार ने नियमित अंतराल पर इंटरनेट का इस्तेमाल किया, जिसका सीधा मतलब है कि वह जाग रहा थे और इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे कि आरूषि के कमरे में क्या हो रहा है.
सिसोदिया ने बताया, 'उन्होंने आरुषि तलवार का पोस्टमार्टम करने वाले डा. सुनील दोहरे के इस निष्कर्ष से भी असहमति जताई कि आरुषि का गला डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक उपकरण से कट गया था.' उन्होंने फोरेंसिक विशेषज्ञ डा. नरेश राज के इन दावों को भी झुठला दिया, जिनमें कहा गया था कि हेमराज के गुप्तांग का सूजा होना इस बात का संकेत है कि वह मरने से पहले या तो यौन संबंध बना रहा था या बनाने वाला था.
जांच एजेंसी ने अपने इस दावे की पुष्टि के लिए कि हत्या की रात तलवार के कमरे में इंटरनेट की गतिविधियां दर्ज की गईं, एयरटेल के एक अधिकारी को अदालत में पेश किया था, जिसने तलवार के इस दावे को गलत बताया कि वह सो रहे थे और उन्हें नहीं मालूम कि आरुषि के कमरे में क्या हो रहा था. अदालत की घटनाओं का संक्षिप्त ब्यौरा पेश करते हुए सिसोदिया ने बताया कि उनके मुवक्किल ने अदालत को सूचित किया कि फोरेंसिक विशेषज्ञ ने जो दावे किए हैं वह उनके द्वारा दाखिल की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हिस्सा नहीं हैं.
सिसोदिया के अनुसार डा. तलवार ने अदालत को बताया कि डा. राज ने सीबीआई के दबाव में बयान दिया है. अभियोजन के गवाह के तौर पर राज ने दावा किया कि उन्होंने पोस्टमार्टम वाले दिन नौकर के फूले हुए अंगों के बारे में कोई राय नहीं बनाई थी, क्योंकि उन्होंने सोचा था कि वह उस समय कारण बताएंगे जब उनसे पूछा जाएगा.
वह बचाव पक्ष के वकील की इस बात पर भी सहमत हुए कि अंगों का फूलना शव सड़ने के कारण भी हो सकता है. 14 वर्ष की आरुषि 16 मई 2008 को अपने बेडरूम में मृत पाई गई थी. पहला संदेह घर के नौकर पर गया, लेकिन बाद में उसका शव नोएडा के जलवायु विहार स्थित उसी घर की छत से मिला.
सीबीआई ने दिसंबर 2010 में मामले की क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की सीरीज की कड़ियां तलवार दंपति की ओर इशारा करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई पेश किए जाने लायक सबूत नहीं है. मजिस्ट्रेट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया और तलवार दंपति पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया. आरुषि के माता पिता ने उसकी हत्या में शामिल होने के आरोप से इंकार करते हुए खुद को बेकसूर बताया.