डीआरडीओ सशस्त्र और अर्धसैनिक बलों के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर विज्ञान (ईसीएस) से जुड़ी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनमें सीमाओं पर खुफिया जानकारी इकट्ठी करने की प्रणाली और लेजर आधारित आयुध निरोधक प्रणाली शामिल है.
यह परियोजना अगले साल के आखिर तक लागू हो सकती हैं. ईसीएस के सात प्रयोगशालाओं के क्लस्टर के लिए डीआरडीओ के प्रमुख नियंत्रक (अनुसंधान और विकास) डॉ श्रीहरि राव ने संवाददाताओं से कहा कि सीमा संचार खुफिया एकत्रण प्रणाली तैयार की जाएगी और यह अगले साल दिसंबर से पहले सभी सीमांत इलाकों में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर देगी.
हैदराबाद की रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएलआरएल) द्वारा विकसित इस परियोजना में शत्रु के किसी संचार में सेंध लगाने के लिए 10 स्थिर और 25 चल स्टेशनों को बनाने का प्रावधान है. डीएलआरएल के निदेशक जी. भूपति ने कहा कि यह प्रणाली सीमा के पास सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बल दोनों को ही आतंकी समूहों के संचार में सेंध लगाने में मदद देगी.
भूपति ने कहा कि उनकी प्रयोगशाला सुरक्षा बलों के लिए जरूरी अन्य इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं पर काम कर रही है, जिसमें जैमर आदि शामिल हैं. लेजर आधारित बम-आयुध निरोधक प्रणाली के संबंध में लेजर सिस्टम और टेक्नोलॉजी सेंटर (लेसटेक) के निदेशक अनिक कुमार मैनी ने कहा कि यह प्रणाली रॉकेटों, बम और विस्फोटकों को निष्क्रिय करने में सहायक होगी.