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ड्रोन करेंगे बाघों की गिनती, वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा

देश के जंगलों में जल्द ही ड्रोन उड़ते नजर आएंगे. ये ड्रोन इन जंगलों में जानवरों के शिकार पर निगरानी रखने के अलावा वन्यजीवन की जानकारी और बाघों की गिनती का काम करेंगे.

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दुनिया के जंगलों में केवल 3200 बाघ बचे हैं
दुनिया के जंगलों में केवल 3200 बाघ बचे हैं

देश के जंगलों में जल्द ही ड्रोन उड़ते नजर आएंगे. ये ड्रोन इन जंगलों में जानवरों के शिकार पर निगरानी रखने के अलावा वन्यजीवन की जानकारी और बाघों की गिनती का काम करेंगे. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिक मानवरहित ऐसे विमानों की पूरी सीरीज लेकर आ रहे हैं, जिन्हें विविधता भरे जंगलों के अनुरूप स्वदेशी तौर पर बनाया जा रहा है.

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डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक और इस परियोजना के प्रभारी के. रमेश ने कहा, ‘इसके साथ हम वन्यजीव निगरानी के लिए दूसरी पीढ़ी की तकनीक पर आ जाएंगे. इनकी लागत कम होगी और इनकी पहुंच ऐसे इलाकों तक होगी, जहां इंसान का पहुंचना मुश्किल है.’ राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्था के साथ संयुक्त कार्य के तहत देशभर में वन्यजीवन से समृद्ध दस इलाकों में ड्रोन के जरिए निगरानी रखने की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

इन ड्रोनों का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों के आवागमन की जानकारी रखना और शिकार की निगरानी करना होगा.

रमेश ने कहा, ‘इनका इस्तेमाल बाघ जैसे जानवरों की गणना करने में भी किया जा सकता है.’ उन्होंने यह भी कहा कि कई इलाकों में ‘कैमरा ट्रैप’ तरीके से बाघों की गणना प्रभावी साबित नहीं हुई है.

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वन्यजीव व्यापार निगरानी तंत्र के प्रमुख शेखर कुमार नीरज ने कहा कि वन सुरक्षाकर्मियों के लिए यह एक उपयोगी और हाईटेक उपकरण होगा. एक ड्रोन को स्वचालित मोड पर रखकर जंगल के भीतर 40-50 किलोमीटर की गहराई तक भेजा जा सकता है, जहां से वह तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है और उन्हें तत्काल भेज सकता है. इस ड्रोन की गति को भी जीपीएस-आधारित तंत्र से नियंत्रित किया जा सकता है. इन ड्रोनों का हाल ही में पन्ना बाघ अभयारण्य और काजीरंगा वन में सफल परीक्षण किया गया था.

चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले ड्रोनों का इस्तेमाल 40-50 मिनट तक किया जा सकता है.

वैज्ञानिक ने कहा कि उन्हें वापस बेस स्टेशन पर लाकर दोबारा चार्ज किया जा सकता है और फिर एक दिन में कई बार वापस भेजा जा सकता है. उन्होंने बताया, ‘हम ड्रोन के एक नए मॉडल पर भी काम कर रहे हैं, जो 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘ये सस्ते हैं. हर ड्रोन की कीमत सिर्फ 3 से 6 लाख रुपये है और इन पर बार-बार कोई खर्च भी नहीं होता. बैटरियां आसानी से चार्ज हो जाती हैं.’

उन्होंने देश में ऐसे दस स्थान चिह्नित किए हैं, जहां साल 2015 से ड्रोन निगरानी परियोजना लागू की जाएगी. इन स्थानों में हिमालय के ऊंचे इलाके, हिमालय के तल, मध्य भारत, सुंदरबन के तटीय क्षेत्र और अंडमान द्वीप शामिल हैं.

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