वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने देश के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई बारिश के मद्देनजर सोमावर को कहा कि देश में सूखे की स्थिति उतनी संकटपूर्ण नहीं है जितनी यह शुरू में लग रही थी.
मुखर्जी ने इंडिया टुडे के एक सम्मेलन में कहा, 'मानसून की देर से हुई बारिश के कारण सूखे की समस्या उतनी संकटपूर्ण नहीं रही है जितनी यह जुलाई या अगस्त के पूर्वार्ध में लग रही थी.
गेहूं तथा चावल के भारी भंडार के मद्देनजर मुखर्जी ने कहा कि देश सूखे की स्थिति से निपटने में बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा, 'सूखे के बावजूद हमारे विश्वास की वजह हमारे पास अनाज का बफर स्टाक होना है.'
वित्तमंत्री ने कहा कि देश में गेंहू और चावल का स्टाक आवश्यकता से अधिक रहेगा. उन्होंने कहा कि अगले गेंहू सत्र अप्रैल-जून 2010 के शुरू में इसका स्टाक 1.77 करोड़ टन अधिक रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं इसमें से 40 लाख टन बफर स्टाक और 30 लाख टन रणनीतिक आरक्षित भंडार को निकाल दूं तो भी अगले वर्ष पहली अप्रैल को हमारे पास गेंहू का 1.07 करोड़ टन का भंडार बचा होगा. अगले माह से शुरू होने वाली चावल के विपणन सत्र के शुरू में चावल का भी 1.4 करोड़ टन पुराना भंडार रहने का अनुमान है. इसमें से अगर 52 लाख टन बफर स्टाक और 20 लाख टन रणनीतिक स्टाक को निकाल दे तो भी धान की नई फसल आने के समय चावल का स्टाक 70 लाख टन बचा होगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने सरकारी व्यय बढ़ाने का जोखिम उठाया है. इससे चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8 फीसदी तक होने का अनुमान है पर वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर कोई और विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए हमने विकास परिव्यय को 37 फीसद बढ़ाकर 2.43 लाख करोड़ से 3.25 लाख करोड़ रुपये किया है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके.