यूपी में डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. सीबीआई की टीम शुक्रवार को कुंडा पहुंच रही है. इस मामले में सीबीआई FIR दर्ज कर चुकी है.
देना होगा सवालों का जवाब
राजा भैया अब सीबीआई की टीम के आमने-सामने होने जा रहे हैं. डीएसपी हत्याकांड में उनको सीबीआई के सवालों का जवाब देना होगा. साफ है राजा भैया पर शिकंजा कसता जा रहा है.
किन-किन धाराओं में एफआईआर...
जिस एफआईआर के आधार एजेंसी आगे बढ़ेगी, उसमें अखिलेश यादव के पूर्व मंत्री पर 6 धाराएं लगाई गईं हैं:
धारा 148: घातक हथियारों के साथ प्रदर्शन
धारा 149: गैरकानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा करना
धारा 302: हत्या का आरोप
धारा 504: शांतिभंग करने के लिए उकसाना
धारा 506: धमकी देना
धारा 120-बी: आपराधिक साजिश.
क्या है पूरा मामला
जाहिर है कि राजा भैया के खिलाफ सभी धाराएं आने वाले दिनों में उनकी मुसीबत बहुत बढा़ने वाली हैं. जिस दिन डीएसपी जियाउल हक की हत्या हुई थी, उसी दिन बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे लाल यादव और उसके भाई की भी हत्या की गई थी, जिसके बाद डीएसपी को गोली मारी गई. इस पूरे मामले में चार एफआईआर पहले से दर्ज हैं.
पहली एफआईआर बल्लीपुर के ग्राम प्रधान नन्हें यादव की हत्या के मामले में है. इसी के बाद सारा बवाल शुरू हुआ. इसी की जांच करने डीएसपी जिया उल हक बलीपुर पहुंचे थे. इसमें कुल चार आरोपी बनाए गए हैं.
दूसरी एफआईआर ग्राम प्रधान नन्हें यादव के भाई सुरेश यादव की हत्या के मामले में है. सुरेश यादव की हत्या उसी दिन हुई थी, जिस दिन जियाउल हक बलीपुर पहुंचे थे. कहा तो यह भी जाता है कि उनके सामने ही सुरेश यादव की हत्या हुई थी. इसमें भी चार आरोपी हैं.
बाकी के दो एफआईआर जियाउल हक मर्डर केस में दर्ज किए गए हैं. एक एफआईआर यूपी पुलिस ने दर्ज कराई है और दूसरी जियाउल हक की पत्नी परवीन ने. एक में 10 आरोपी हैं और दूसरे में 4 आरोपी. गौरतलब है कि जिसमें 10 आरोपी हैं, उसमें राजा भैया का नाम नहीं है. जो एफआईर डीएसपी की पत्नी ने दर्ज कराई है, उसमें राजा भैया को नामजद किया गया है.
मतलब यूपी पुलिस ने खुद जो तीन एफआईआर दर्ज किए, उसमें शुरू में ही रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को साफ बचा लिया. सिर्फ परवीन की एफआईआर में राजा का ज़िक्र है.
सीबीआई जांच से बंधी आस
इस हत्याकांड की जांच की कमान सीबीआई ने संभाली है, तो डीएसपी के परिवार को उम्मीद बंधी है. हालांकि संशय कहीं न कहीं अब भी बरकरार है.