यूपी में हुए डीएसपी मर्डर की सीबीआई जांच शुरु हो गई है. शुक्रवार को सीबीआई की टीम जब प्रतापगढ़ पहुंची तो जिले के आला पुलिस अफसर पंजे के बल खड़े थे.
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शुक्रवार सुबह करीब 10 बजकर 50 मिनट पर सीबीआई ने जब कुंडा की कुंडी खटकाई तो यूपी की सियासत दम साधकर बैठ गई. सब जानना चाहते थे कि पहले दिन किन-किन पतों पर बैठेगी जांच की चिड़िया.
सियासत के इस खेल के बीच सीबीआई का काफिला सबसे पहले कुंडा के नगर पंचायत दफ्तर पहुंचा. सीबीआई टीम जब नगर पंचायत के दफ्तर में दाख़िल हुई तो रघुराज प्रताप के प्रतापगढ़ के प्रतापी पुलिवाले पंजे के बल खड़े हो गए.
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सीबीआई ने जांच की शुरुआत पुलिसवालों पर शक से शुरू की है क्योंकि उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है मर्डर का मंत्री कनेक्शन पता करने की और इस सच का पता शक से मिलेगा.
सीबीआई की टीम ने जब जिले के अफसरों से सवाल पूछना शुरू किया तो कई हकलाने लगे. कुछ को जवाब नहीं सूझा और कुछ ने जो कहा उसमें से कई और सवाल निकल आए. 132 मिनट की पूछताछ में पुलिसवालों को पसीना आ गया. सवाल पूछने वालो को जवाब देने की आदत नहीं थी.
पुलिसवालों की पेशी लेने के बाद सीबीआई सीधे बलीपुर निकल गई. साथ में था वो थानेदार जो डीएसपी और प्रधान के भाई की हत्या के दिन भाग खड़ा हुआ था. सीबीआई ने इलाके का चप्पा-चप्पा देखा.
बलीपुर ने दोपहर के वक्त ऐसी शांति इससे पहले कभी नहीं देखी थी. ये वो चौराहा था जहां प्रधान चाय पी रहा था. चाय पीते वक्त ही उसे खींचकर मार डाला गया था. इस चौराहे के पास ही प्रधान का घर है. यहां से निकलकर सीबीआई टीम उस घर के पीछे गई. प्रधान की हत्या के बाद इलाके में तनाव था. डीएसपी जियाउलहक दौरे पर पहुंचे थे लेकिन उस रात पहले प्रधान के भाई की हत्या की गई और फिर डीएसपी ज़िया उल हक की.
बलिपुर से निकलकर सीबीआई की टीम खेतों की ओर चल पड़ी. कोई डेढ़ किलोमीटर चलती रही सबूतों की तलाश में और पहुंची प्रधान की हत्या के आरोपियों के गांव. इन घरों में तोड़फोड़ की गई है और इसके बाद इन्हें फूंक दिया गया है. सीबीआई ने यहां भी कुछ लोगों से पूछताछ की और कुछ सबूत उठाए.
शाम से पहले सीबीआई की टीम वापस कुंडा लौट गई. अब उसके हाथ में ढेर सारे शक हैं और थोड़े से सबूत. इन्हीं के आधार पर अब तफ्तीश की सुई अपना सफर शुरू करेगी लेकिन सीबीआई के पहुंचने के पहले दिन भी ये सच कायम रहा कि राजा पहले भी आजाद था, आज भी आजाद है.