देश के सबसे बड़े साइंटिफिक इंस्टिट्यूट 'काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च' (सीएसआईआर) 92 युवा वैज्ञानिकों को सड़क पर ला दिया है. अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों से पढ़े ये छात्र अब सीएसआईआर व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं है. यहां तक कि निकाले गए सभी लोग मंत्री डॉ.हर्षवर्धन से भी मिले.
एनबीटी में छपी खबर के मुताबिक, निराश छात्रों ने अब सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की है. याचिका में इन्होंने कहा है कि उन्हें ट्रेनिंग पूरी होने पर सीएसआईआर में बतौर साइंटिस्ट जॉब देने का वादा किया गया था. इस वादे को पूरा किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि सीएसआईआर ने अगस्त 2012 में नेशनल लेवल का एक टेस्ट करके इन 92 भावी वैज्ञानिकों का चुनाव किया था. इन्हें सीएसआईआर के ट्रेनिंग और एम टेक प्रोग्राम के लिए चुना गया था. यह पूरा प्रोग्राम दो साल का था. सीएसआईआर ने तब नोटिफिकेशन में कहा था कि इन स्टूडेंट्स को इनकी ट्रेनिंग और एम टेक पूरा होने पर बतौर साइंटिस्ट नियुक्त किया जाएगा.
यही नहीं, इन्हें बाकायदा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक पे-स्केल भी दिया गया. ज्यादातर छात्र ने अपने कोर्स को अच्छे नंबरों के साथ पास किया, लेकिन अब सीएसआईआर अपने वादे से पीछे हट रहा है. इन स्टूडेंट्स को पिछले करीब सात महीने से न तो सैलरी मिल रही है और न ही नौकरी दी जा रही है.
निकाले गए छात्रों का कहना है कि लाखों के पैकेज और अच्छी पोजिशन छोड़कर सीएसआई में आए थे और अब उनके साथ यह सलूक हुआ है. सूत्रों का कहना है कि इन लोगों को निकालने की वजह पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जयपाल रेड्डी और सीएसआईआर के पूर्व डायरेक्टर जनरल समीर ब्रह्मचारी की अनबन रही है और इसलिए इन लोगों को नौकरी देने का मामला लटक गया.