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डूसू चुनाव: एबीवीपी को अध्‍यक्ष सहित 3 सीट, एनएसयूआई को सिर्फ 1 सीट

दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए छात्रसंघ चुनाव पर एबीवीपी का दबदबा रहा है. डूसू चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने तीन सीटें जीती हैं. एनएसयूआई सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है.

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भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में प्रतिद्वंद्वी एनएसयूआई को जोरदार शिकस्त देते हुये छात्रसंघ के तीन पदों पर अपना परचम लहराया है.

छात्र संघ के चार पदों में से तीन पर इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जीत दर्ज की है जिसमें अध्यक्ष का पद भी शामिल है. जितेंदर चौधरी ने अध्यक्ष पद पर और प्रिया डबास ने उपाध्यक्ष पर जीत दर्ज की है. जबकि नीतू डबास को सचिव पद पर जीत मिली है.

वहीं इस बार केवल एक पद संयुक्त सचिव पर नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया :एनएसयूआई: के उम्मीदवार अक्षय कुमार को जीत मिली है. जितेंदर चौधरी ने एनएसयूआई से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हरीश चौधरी (श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कालेज) को 1943 मतों के अंतर से पराजित किया.

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एबीवीपी से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार जितेंदर चौधरी को कुल 9259 मत मिले. वहीं इस चुनाव में खड़ी भाकपा नेता डी राजा की बेटी अपराजिता को (एआईएसएफ) को केवल 2999 मत मिले.

एनएसयूआई से उपाध्यक्ष पद के लिये खड़े एए वर्धन जहां केवल एक हजार पांच सौ अठारह मत मिले वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उम्मीदवार प्रिया डबास ने 8679 मत प्राप्त कर उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की.

सचिव पद पर एबीवीपी की नीतू डबास ने रिकार्ड मतों से :4495: से अपनी प्रतिद्वंद्वी दीपिका धारीवाल को पराजित किया.

वहीं एनएसयूआई केवल एक पद पर सिमट कर रह गयी उसके संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार अक्षय कुमार काफी तगड़े संघर्ष के बाद जीत दर्ज कर पाये. कुमार ने यह पद मात्र 581 मतों के अंतर से जीता.

पहली बार कड़ी चुनावी आचार संहिता के तहत संपन्न हुआ यह चुनाव काफी शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से लड़ा गया. पिछली बार के चुनाव में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के चलते सात प्रत्याशियों की दावेदारी को रद्द कर दिया गया था जिसके कारण इस बार के चुनाव में सभी प्रत्याशी विशेष तौर पर नियमांे का ख्याल रखे हुये थे.

इस बार के चुनाव में पोस्टर, छपे हुये पर्चे और स्टिकर को बांटने की अनुमति नहंीं थी. इसके अलावा कठोर आचार संहिता और चुनावी नियमों के कारण चुनाव प्रचार में जानवरों, गाड़ियों और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल की मनाही थी.

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पिछली बार के चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया के प्रत्याशियों की दावेदारी रद्द हो जाने के कारण एक निर्दलीय उम्मीदवार को अध्यक्ष पद पर बैठने का मौका मिला था. छात्रसंघ के पिछले 18 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई निर्दलीय उम्मीदवार छात्रसंघ का अध्यक्ष बना.

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