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निकोबार द्वीप के बाद अब J-K में भी भूकंप, रिक्टर स्केल पर 3.8 तीव्रता

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में गुरुवार को दोपहर से पहले 2 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. फिर दोपहर एक बजे के करीब जम्मू-कश्मीर में भी भूकंप आया. हालांकि इन झटकों से किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर(फाइल फोटो)
प्रतीकात्मक तस्वीर(फाइल फोटो)

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भारत में गुरुवार को 3 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. आज दोपहर से पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 2 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. निकोबार द्वीप समूर में सुबह 5:30 बजे 4.8 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. फिर इसके बाद 10:30 बजे 4.7 की तीव्रता वाला भूकंप आया. दोपहर 12:59 बजे जम्मू-कश्मीर में भूकंप का झटका लगा, रिचेर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.8 रही.

जम्मू-कश्मीर में आए भूकंप में अब तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. इससे पहले निकोबार द्वीप समूह में आए भूकंप के दो झटकों के किसी के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं है. 22 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में 3.5 की तीव्रता वाला भूकंप आया था. जबकि 21 फरवरी को छत्तीसगढ़ के कोरबा में 3.5 की तीव्रता वाला भूकंप आया था. इन झटकों में कोई खास नुकसान नहीं हुआ था.

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बता दें कि इससे पहले जनवरी में भी अंडमान-निकोबार द्वीप पर 6.0 तीव्रता वाला भूकंप आया और बड़े झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केंद्र निकोबार द्वीप क्षेत्र में था.

क्या होता है रिक्टर स्केल?

बता दें कि जितना ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आता है, उतना ही अधिक कंपन होता है. जैसे 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं, वहीं 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है. भूकंप के समय धरती के कंपन के अधिकतम आयाम और किसी आर्बिट्रेरी छोटे आयाम के अनुपात के साधारण गणित को 'रिक्टर पैमाना' कहते हैं. 'रिक्टर पैमाने' का पूरा नाम रिक्टर परिमाण परीक्षण पैमाना है. बता दें कि अंडमान-निकोबार के कुछ इलाके को जोन-5 में रखे गए हैं. जोन 5 को भूकंप के लिहाज से सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है.

हाल ही में दिल्ली में भी महसूस किए थे झटके

बता दें कि 20 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 थी. दरअसल, मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग में भारत को 4 जोन में बांटा गया है. इसमें जोन-5 से जोन-2 शामिल है. इसमें जोन 5 सबसे ज्यादा संवेदनशील है और जोन-2 सबसे कम संवेदनशील. जोन-5 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे ज्यादा है. जोन-2 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे कम होती है.

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दिल्ली, पटना, श्रीनगर, कोहिमा, पांडुचेरी, गुवाहाटी, गैंगटॉक, शिमला, देहरादून, इंफाल और चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना, रुड़की सिस्मिक जोन 4 और 5 में आते हैं. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर बिहार और अंडमान-निकोबार के कुछ इलाके जोन-5 में रखे गए हैं.

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