सोमवार के भूकंप से अभी पूर्वोत्तर राज्य संभले भी नहीं थे कि बुधवार को असम में फिर भूकंप का झटका आया. गनीमत यह रही कि भूकंप की तीव्रता 4.0 थी. यह झटका दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर महसूस किया गया.
इससे पहले सोमवार को असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल, बिहार, झारखंड सहित कई इलाको में झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केंद्र इंफाल से 33 किमी दूर और गहराई 35.0 किमी नीचे मापी गई थी. सोमवार के भूकंप में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे.
8.2 तीव्रता के भूकंप का खतरा
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आपादा प्रबंधन के विशेषज्ञों ने पूर्वोत्तर भारत में आए भूकंप के बाद चेतावनी दी है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत पहाड़ी राज्यों पर जल्द बड़ी तबाही आ सकती है. विशेषज्ञों ने संकेत दिए हैं कि भूकंप की तीव्रता 8.2 या इससे भी अधिक हो सकती है.
यहां सबसे ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि इन इलाकों में मणिपुर, नेपाल, सिक्किम में मची तबाही से अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. हाल में मणिपुर में 6.7 (जनवरी 2016), नेपाल में आए 7.3 (मई 2015) और सिक्किम में 2011 में 6.9 की तीव्रता वाले भूकंपों की वजह से भूगर्भीय प्लेटों में उथल पुथल हो गई थीं और इनमें दरारें हो गई थीं. हाल ही में आए भूकंपों की वजह से यह और भी गंभीर हो गई है.
पिछले दिनों ईटानगर में आयोजित हुई एनआईडीएम (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन) की एक बैठक में पहाड़ों पर मंडरा रहे इस बेहद गंभीर संकट से निपटने के लिए एक कार्यक्रम व योजना शुरू करने का फैसला किया. इस बैठक में 11 पहाड़ी राज्यों के नीति-निर्माताओं ने हिस्सा लिया था.
एनआईडीएम के निदेशक संतोष कुमार का कहना है कि भूटान, नेपाल, म्यांमार और भारत की भूगर्भीय प्लेटें आपस में जुड़ी हुई हैं. भूकंपीय संवेदनशीलता के मुताबिक, भारत 4 वर्ग में बंटा हुआ है. सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्वोत्तर के राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी जनसंख्या वाले किसी शहरी इलाके में भूकंप आएगा तो जानमाल का बहुत नुकसान हो सकता है.