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कैश के लिए कतारों में लगने की जरूरत ही नहीं, जब...

ईस्ट एमसीडी में इस वक्त करीब चार हजार शिक्षक हैं जिनमें से करीब ढाई हजार शिक्षकों को अक्टूबर और नवंबर की सैलरी मिलना बाकी है

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शिक्षकों को सैलरी की किल्लत
शिक्षकों को सैलरी की किल्लत

नोटबंदी के दौर पर जब पूरा देश कैश के लिए कतारों में लगा है ऐसे में ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर एक बार भी कतारों में नहीं लगे. अब आप वजह जानकर हैरान रह जाएंगे, वजह यह नहीं कि उनके पास नए नोट आ चुके हैं या फिर उन्हें पैसों की जरूरत नहीं है. बल्कि वजह है कि बीते दो महीने से ईस्ट एमसीडी के कई शिक्षकों को सैलरी ही नहीं मिली है. यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों के खाते खाली हैं तो अब कैश के लिए कतार में लगने की क्या जरूरत है.

एमसीडी शिक्षकों के एक दल ने सोमवार को स्थाई समिति अध्यक्ष से मुलाकात कर अपनी समस्या तो सामने रखी लेकिन उन्हें समाधान नहीं मिल सका. हल निकालने की बजाए एमसीडी ने फंड की कमी के कारण वक्त पर सैलरी ना दे पाने की बात कही. स्थाई समिति अध्यक्ष जीतू चौधरी के मुताबिक ईस्ट एमसीडी को अभी करीब 5 हजार करोड़ रुपए दिल्ली सरकार से लेने हैं जो साल 2012 से अब तक पैंडिंग पड़े हैं.
 
ईस्ट एमसीडी में इस वक्त करीब चार हजार शिक्षक हैं जिनमें से करीब ढाई हजार शिक्षकों को अक्टूबर और नवंबर की सैलरी मिलना बाकी है. लेकिन माली हालत को देखते हुए तो यही लगता है कि इनको वक्त पर सैलरी शायद ही मिल पाएगी.

दिल्ली में तीन एमसीडी हैं जिनमें से सबसे छोटी और आर्थिक रूप से सबसे ज़्यादा बदहाल हालत ईस्ट एमसीडी की ही है. दरअसल ईस्ट एमसीडी में टैक्स की वसूली सबसे कम है क्योंकि यहां ज़्यादातर अवैध और निचले तबके की कॉलोनियां हैं, जहां टैक्स की दरें भी सबसे कम है। ऐसे में निगम लगातार घाटे में है और इसका खामियाज़ा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है.

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