इबोला वायरस से दुनिया भर में हड़कंप मचा हुआ है. इबोला के खतरे से बचने के लिए भारत में भी अलर्ट जारी किया गया है. तमाम एयरपोर्ट पर चेकिंग की जा रही है. दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में इलाज के लिए केंद्र बनाए गए हैं. अफ्रीका के एक देश से लौटे एक व्यक्ति की चेन्नई स्थित एक सरकारी अस्पताल में इबोला वायरस के लिए 'जांच और निगरानी' की जा रही है. आम लोगों को इस वायरस के बारे में जानकारी देने के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है.
सरकार भी इबोला वायरस के हमले के खतरे को लेकर सतर्क हो गई है. केंद्र सरकार ने इबोला वायरस पर निगरानी के लिए शनिवार को कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन बनाई ताकि खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए जा सके. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं- (011) 23063205, 23061469 और 23061302. दिल्ली में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इबोला के इलाज का केंद्र खोला गया है तो मुंबई में कस्तूरबा और जेजे अस्पताल यानी दो जगहों पर स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं. बैंगलोर में भी इबोला से निबटने के इंतजाम किए जा रहे हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक हिन्दुस्तान में इबोला का अभी एक भी मरीज नहीं लेकिन एक भारतीय वतन लौट चुका है जिसने उस प्लेन में सफर किया था जिसमें इबोला का मरीज था. डब्ल्यूएचओ ने सूचना दी थी कि एक भारतीय यात्री भी उस फ्लाइट पर सवार था, जिसमें इबोला वायरस से पीड़ित विदेशी ने मोनरोवियो से लागोस तक यात्रा की थी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक उस शख्स को ढूंढ लिया गया है और वो फिलहाल स्वस्थ है.
मुंबई एयरपोर्ट पर विशेष एंबुलेंस तैनात
इबोला वायरस के खतरे को देखते हुए मुंबई एयरपोर्ट पर इमरजेंसी व्यवस्था के तहत एंबुलेंस तैनात की गई है. यहां विदेशों से आने वाले संदिग्ध मरीजों की जांच की व्यवस्था की गई है. इबोला वायरस के संक्रमण वाले संदिग्ध यात्रियों को तुरंत इलाज के लिए तय जगहों पर ले जाया जाएगा. केंद्र सरकार के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार ने दो विशेष एंबुलेंस छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तैनात की है. संक्रमण की शंका वाले यात्रियों की जानकारियां एकत्र की जा रही है.
बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन से जुड़े हर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 10-10 बेड्स आरक्षित किए गए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने सभी मेडिकल ऑफिसरों को इबोला वायरस के संक्रमण पर अलर्ट किया है.
अगले महीने टीका
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इबोला वायरस से बचाने वाला टीके का क्लिीनिकल ट्रायल अगले महीने शुरू होगा. अगले साल तक यह टीका उपलब्ध हो जाएगा. यह टीका ब्रिटिश कंपनी ग्लैक्सोस्मिथलाइन ने बनाया है. संगठन के टीकाकरण विभाग के प्रमुख जीन-मारी ओकवो बेले ने कहा कि हमारा टारगेट सितंबर में क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने का है. पहले अमेरिका और खासकर अफ्रीकी देशों में क्योंकि वहीं पर ज्यादातर केस सामने आए हैं.
इस समय इबोला के लिए कोई टीका या इलाज उपलब्ध नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है. इबोला से सबसे अधिक प्रभावित अफ्रीकी देशों जैसे गीनी, लाईबेरिया, सिएरा लियोन, नाइजीरिया में अबतक 1779 मरीज सामने आए हैं जिनमें से 961 की मौत हो गई है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इबोला एक किस्म की वायरल बीमारी है. इबोला वायरस का संक्रमण होने पर तेज बुखार आता है. खून बहने लगता है. इसके अन्य लक्षण हैं कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश. संक्रमित व्यक्ति की मौत की आशंका 90 प्रतिशत तक होती है. इस समय 55 से 60 प्रतिशत संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी है. सैन डिएगो के मैप बायोफार्मास्युटिकल की बनाई जेडमैप दवा के बंदरों पर अच्छे नतीजे सामने आए हैं. अफ्रीका में संक्रमित हुए दो अमेरिकियों की सेहत में भी इस दवा से सुधार आया है.