इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट (ISI) अब ईवीएम में डाले गए वोट और वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल- VVPAT) में मौजूद पर्चियों के मिलान का काम करेगा. निर्वाचन आयोग ने आईएसआई को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है. इससे पहले आईएसआई ने वोटों के मिलान को लेकर तकनीकी कार्यप्रणाली और सैंपल साइज से जुड़ी रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को सौंप दी.
आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट के लंबे तकनीकी अनुभव, आंकड़ों की गणना में उनकी महारत और समय के मुताबिक नए प्रयोग करने की उनकी क्षमता व दक्षता को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने इस संस्थान को ये जिम्मेदारी सौंपी है.
इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट के प्रमुख अभय जी भट्ट के नेतृत्व में तकनीकी और सांख्यिकी विशेषज्ञों की टीम ने आयोग के सामने अपनी रिपोर्ट सौंपी और प्रेजेंटेशन भी दिया. ये इंस्टीट्यूट ना केवल आंकड़ों का मिलान करेगा, बल्कि भविष्य में अगर कोई तकनीकी या व्यावहारिक दिक्कत आती है तो उसे भी सुलझाएगा.
चुनाव आयोग के इस कदम से यह उम्मीद बढ़ी है कि इस चुनाव में पहले के मुकाबले ज्यादा बूथों पर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट की पर्ची का मिलान होगा. जाहिर है, इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. फिलहाल, आयोग का दावा है कि वो हर लोकसभा सीट पर 10 फीसदी बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट के आंकड़ों का औचक मिलान करता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका के मुताबिक व्यावहारिक रूप से सिर्फ 0.44 ईवीएम और वीवीपैट का ही मिलान हो पाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से इस बाबत जवाब भी तलब किया है और अगली सुनवाई के दौरान आयोग से वीवीपैट और ईवीएम की जानकारी वाले एक आला तकनीकी अधिकारी को भी कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है.