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चुनाव आयोग ने सिख विरोधी दंगा मुआवजा मुद्दे पर गृह मंत्रालय की खिंचाई की

चुनाव आयोग ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मुआवजा मामले पर गृह मंत्रालय की खिंचाई करते हुए सवाल किया कि अगर इस संबंध में कोई निर्णय नहीं किया गया था, जैसा सरकार ने दावा किया है, तो उसने मीडिया में आई खबरों का खंडन क्यों नहीं किया?

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चुनाव आयोग
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चुनाव आयोग ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मुआवजा मामले पर गृह मंत्रालय की खिंचाई करते हुए सवाल किया कि अगर इस संबंध में कोई निर्णय नहीं किया गया था, जैसा सरकार ने दावा किया है, तो उसने मीडिया में आई खबरों का खंडन क्यों नहीं किया? 1984 दंगा पीड़ितों को मुआवजे पर गृह मंत्रालय मौन

इस मुद्दे पर एक आदेश में चुनाव आयोग ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से इनकार नहीं किए जाने से स्पष्ट संकेत गया कि वास्तव में ऐसा निर्णय लिया गया है. आयोग ने कहा कि ऐसा आश्वासन दिया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं भविष्य में नहीं दोहरायी जाएं. चुनाव आयोग ने इस बारे में 31 अक्टूबर को गृह मंत्रालय को जारी नोटिस पर उसके जवाब के बाद यह आदेश दिया. यह नोटिस मीडिया में आई उन खबरों के बाद जारी किया गया था जिनमें कहा गया था कि सरकार 1984 के सिख विरोधी दंगों में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये का ताजा मुआवजा देगी.

आयोग ने सरकार से इस खबर पर 03 नवंबर तक स्पष्टीकरण देने को कहा था, क्योंकि दिल्ली में उपचुनाव के मद्देनजर चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी. हालांकि दिल्ली विधानसभा भंग होने के कारण उपचुनाव अब रद्द कर दिया गया है. चुनाव आयोग के पत्र पर गृह मंत्रालय के जवाब का जिक्र करते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा कि एक तरफ सरकार का कहना है कि मुआवजे के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया है, दूसरी ओर इसकी खबरें व्यापक रूप से प्रकाशित हुईं, न केवल प्रिंट मीडिया बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी आईं.

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गृह मंत्रालय को भेजे आदेश में चुनाव आयोग ने कहा, 'टीवी चैनलों पर इस विषय पर कई परिचर्चाएं आयोजित की गईं.' आयोग ने कहा, 'आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि में सरकार की ओर से कहीं भी इन खबरों से इनकार की बात नहीं देखी.' चुनाव आयोग ने दो पन्नों के आदेश में कहा, 'इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि खबर से मतदाताओं में स्पष्ट संकेत गया है कि सरकार की ओर से इस आशय का निर्णय ले लिया गया है.'

इनपुटः भाषा से

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