आम चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बड़ा दांव खेलते हुए देश के करीब 5 करोड़ गरीब परिवारों को आय की गारंटी के लिए एक योजना पेश की ही है. कहा जा रहा है कि वाकई यह लागू हुई तो मनरेगा से भी बेहतर आय गारंटी साबित हो सकती है. लेकिन देश के कई दिग्गज अर्थशास्त्री इस प्रस्ताव को नासमझी भरा और वित्तीय संतुलन को बिगाड़ने वाला बता रहे हैं.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की पांच करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देने के वादे से वित्तीय अनुशासन धराशायी हो जाएगा. इस योजना से एक तरह से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो देश के सर्वाधिक गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को 72,000 रुपये सालाना बतौर न्यूनतम आय उपलब्ध कराई जाएगी.
लागू करना असंभव!
इसके बाद राजीव कुमार ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस के पुराने रिकॉर्ड को देखा जाए तो वह चुनाव जतीने के लिए चांद लाने जैसे वादे करती रही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस योजना की घोषणा की है उससे राजकोषीय अनुशासन खत्म होगा, काम नहीं करने वाले प्रोत्साहित होंगे और यह कभी लागू नहीं हो पाएगा.'
उन्होंने कहा कि न्यूनतम आय गारंटी योजना की लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2 फीसदी और बजट का 13 फीसदी होगी. इससे लोगों की वास्तविक जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी. कुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया, 2008 में वन रैंक, वन पेंशन का वादा किया, 2013 में खाद्य सुरक्षा की बात कही लेकिन इसमें से कुछ भी पूरा नहीं कर सकी.
इकोनॉमिस्ट सुरजीत भल्ला ने कांग्रेस के ऐलान की आलोचना करते हुए कहा, 'यह पूरी तरह से हास्यास्पद है. राहुल गांधी जनसंख्या के 20 फीसदी लोगों को खुश कर रहे हैं करीब 35 फीसदी लोगों को नाराज करके. क्या योजना है! यह एक गेम चेंजर है या ऐसी अतुलनीय नासमझी? यह विचार ही बुनियादी रूप से गलत है, इसलिए इसकी किसी से तुलना नहीं हो सकती.'
1/n Is RG's #MinimumIncomeGuarantee a game changer or absurd beyond compare? The idea is fundamentally flawed and so beyond compare. Here is how. RaGa gives income transfer to the bottom 20 % of the population of Rs. 72000 a year. So far so good. https://t.co/ZfUO6qw7sW
— Surjit Bhalla (@surjitbhalla) March 25, 2019
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी के प्रोफेसर भानुमूर्ति ने कहा, 'अगर यह ऐसी योजना होती है जिसमें सभी निष्क्रिय कल्याणकारी योजनाओं को शामिल कर लिया जाता है, तो फिर यह कारगर हो सकता है.
इस बीच, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने भी ट्विटर पर गांधी की चुनाव पूर्व घोषणा की आलोचना की है. लेकिन बाद में एक ट्विटर यूजर के यह कहने पर कि वह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है, ट्वीट को हटा दिया गया. पीएमईएसी ने ट्विटर पर लिखा था कि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति तथा राजकोषीय अनुशासन में सही संतुलन स्थापित करने को लेकर पिछले पांच साल में काफी कार्य किए गए हैं.
परिषद ने कहा, 'कांग्रेस की आय गारंटी योजना इस संतुलन को बिगाड़ देगी या सरकार के महत्वपूर्ण खर्चों में कमी आएगी. दोनों विकल्प खतरनाक हैं. एक ट्विटर यूजर सुमेध भागवत ने जब पीएमईएसी सदस्यों से कहा कि उनका ट्वीट चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, तो परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने ट्विटर से संदेश को हटा दिया. देबरॉय ने ट्वीट किया, ‘ट्वीट को हटा दिया गया है. बताने के लिए धन्यवाद.'
अगले महीने से शुरू होने वाले आम चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा. सात चरणों में होने वाले चुनाव में करीब 90 करोड़ लोग वोट देने के पात्र हैं.
(एजेंसियों की इनपुट के साथ)