वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि भले ही बजट में प्रोत्साहन पैकेज वापसी की शुरुआत कर दी गई है लेकिन अर्थव्यवस्था में मौजूदा आर्थिक सुधार व्यापक नहीं हैं और इसे अभी भी प्रोत्साहन की जरूरत है.
मुखर्जी ने सीआईआई के कार्यक्रम में कहा, 'अर्थव्यवस्था में सुधार व्यापाक आधार वाला नहीं है, अर्थव्यवस्था की गति सरकारी प्रोत्साहन खर्च पर निर्भर बनी रहेगी.' आर्थिक प्रोत्साहनों को आंशिक रूप से वापस लेने के लिए आम बजट में उत्पाद शुल्क को दो प्रतिशत बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे पहले वैश्विक आर्थिक मंदी के मद्देजनर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने उत्पाद शुल्क में छह प्रतिशत तथा सेवा कर में दो प्रतिशत की कटौती की थी.
वित्तमंत्री ने कहा कि जब तक कि आर्थिक वृद्धि का फायदा अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों तथा समाज के सभी तबकों तक नहीं पहुंचता है वह प्रोत्साहन उपायों को पूरी तरह वापस नहीं लेंगे. मुखर्जी ने कहा, 'मेरी मंशा वृद्धि का लाभ अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों तथा समाज के सभी तबकों तक पहुंचाना है. इसलिए मैंने वृद्धि को बजट के केंद्र में रखा है.'
उन्होंने कहा, 'प्रोत्साहन कदमों को केवल उत्पाद शुल्क में दो प्रतिशत की बढोतरी के रूप में आंशिक रूप से वापस लिया गया है. यह दर अब भी प्रोत्साहन उपायों से पहले के स्तर से कम है.' चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के छह प्रतिशत रह जाने के बारे में वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई कि वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर उंची रहेगी.
मुखर्जी ने कहा 'मुझे भरोसा है कि चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि तेज होगी'. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट के कारण तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि धीमी पडकर छह प्रतिशत रह गई. इससे पहले दूसरी तिमाही में यह 7.9 प्रतिशत की उंचाई पर थी. मुखर्जी ने कहा कि दो अंकों पर पहुंची खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और इसे काबू में लाने के लिये केन्द्र और राज्य मिलकर प्रयास कर रहे हैं. आम बजट में हालांकि सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज की आंशिक वापसी की शुरुआत कर दी है लेकिन वित्त मंत्री का कहना है कि अर्थव्यवस्था की हालत में अभी पूरा सुधार नहीं हुआ है और इसे प्रोत्साहनों की जरूरत दिखती है.