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तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था की गाड़ी, माहौल में अनिश्चितता: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी के और तेजी से आगे बढ़ने की मंगलवार को उम्मीद जाहिर की पर कहा कि दुनिया के हालात को देखते हुए आगे का रास्ता जोखिम भरा हो सकता है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी के और तेजी से आगे बढ़ने की मंगलवार को उम्मीद जाहिर की पर कहा कि दुनिया के हालात को देखते हुए आगे का रास्ता जोखिम भरा हो सकता है.

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प्रधानमंत्री ने आर्थिक वृद्धि में सुधार के मद्देनजर आर्थिक उद्योगों को पिछले वैश्विक संकट के समय दी गयी रियायतों और प्रोत्साहनों के रास्ते से सरकारी खजाने की स्थिति मजबूत करने की दिशा में मुड़ने पर जोर दिया. संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष पूरा होने के मौके पर अपनी सरकारी की नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों पर एक व्यापक रपट जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है.

सिंह ने वैश्विक परिस्थितियों पर सतर्क रुख अपनाते हुए कहा कि अभी अनिश्चितता का माहौल बरकरार है. उन्होंने कहा कि उनका वर्तमान वर्ष की शेष अवधि के लिये उनका नजरिया सतर्कता के साथ-साथ आशावाद का जरिया है. यूरोप के सोवरेन ऋण संकट से वृद्धि को जोखिम का उल्लेख किये बिना सिंह ने कहा, ‘यह (देश की वृद्धि) दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक है. {mospagebreak}

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आने वाले समय में अनिश्चतता की स्थिति है. समग्र रूप से मैं साल को सतर्क आशावादी नजरिये के साथ देखता हूं.’ वित्त वर्ष 2009-10 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 फीसदी रही जो पूर्व के 7.2 फीसदी के अनुमान से कहीं अधिक है. आर्थिक मंदी के कारण आर्थिक वृद्धि 2008-09 में 6.7 फीसदी रही जबकि इससे पूर्व चार साल में आर्थिक वृद्धि औसतन 9 फीसद रही थी.

मुद्रास्फीति पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार स्थिति की समीक्षा करेगी और बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिये जो हर जरूरी कदम उठाये जाएंगे. गौरतलब है कि फरवरी महीने में सामान्य मुद्रास्फीति 10.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी थी.

यूनान में ऋण संकट और स्पेन में बैंक के विफल होने से उत्पन्न यूरोप संकट पर सतर्क करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि में मजबूती लाने और घाटे को कम करने के लिये राजकोषीय प्रोत्साहन को सोच समझकर वापस लिया लिया जाना चाहिए. वैश्विक मंदी से निपटने के लिये सरकार ने कई चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन दिये हैं. इसकी ओर संकेत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसने अच्छा काम किया है लेकिन अब हमें वित्तीय सूझबूझ के रास्ते पर लौटना होगा.’

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.5 फीसद रहने का अनुमान है लेकिन 3जी लाइसेंस और ब्राडबैंड वायरलेस सेवाओं की नीलामी से अच्छी खासी आय होने के कारण इसमें कमी आने की उम्मीद है. वर्ष 2010-11 के बजट में सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन को आंशिक रूप से वापस लेते हुए उत्पाद शुल्क और ईंधन पर लगने वाले शुल्कों में बढ़ोतरी की.

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