प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2015 में दालों की कीमतों में हेरफेर के मामले की जांच शुरू कर दी है. इसे दाल घोटाले के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि उस वक्त दालों की कीमतों में भारी उछाल आया था. एजेंसी ने सोमवार को एडेलवाइस ग्रुप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) हिमांशु काजी से पूछताछ की.
एजेंसी ने बीते हफ्ते से विभिन्न कंपनियों के अधिकारियों को बुलाना शुरू किया है जिन पर शक है कि उनका कीमतों के हेरफेर से जुड़ाव रहा.
सूत्रों के मुताबिक काजी अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों से डील कर रहे थे जो दालों के कारोबार से जुड़ी थीं. प्रवर्तन निदेशालय दालों के आयात को लेकर विदेशी लेन-देन को खंगाल रहा है. एडेलवाइस के विदेशों में स्थित दफ्तरों से दालों का आयात किया जा रहा था. निदेशालय देख रहा है कि कहीं दालों के आयात के नाम पर विदेश में पैसा तो ठिकाने नहीं लगाया गया. ED की ओर से प्रमुख तौर पर विदेशी मुद्रा विनिमय और प्रबंधन कानून के उल्लंघनों की जांच की जा रही है.
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आयकर विभाग की जांच में भी पाया गया कि दालों की कीमतों को ऊंचा करने में ग्लेनकोर ग्रुप, एडेलवाइस ग्रुप और ETG ग्रुप की अहम भूमिका रही थी.सूत्र ने बताया कि एजेंसी आयकर विभाग की ओर से दाखिल एप्रेजल रिपोर्ट की समीक्षा कर रही है. इसके मुताबिक एडेलवाइस ग्रुप की विदेश स्थित इकाइयां मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हो सकती है. एडेलवाइस ने अंतर्राष्ट्रीय जिंस ऑपरेशन को 2016 में बंद कर दिया था.
आयकर विभाग की रिपोर्ट में अन्य कंपनियों के नाम हैं- जिंदल ग्रुप की कंपनी जिंदल एग्रो (दिलीप जिंदल, प्रदीप जिंदल), सुपीरियर ग्रुप (विकास गुप्ता), एसवी एग्री ट्रेड (मनोज अग्रवाल), शार्प मिंट ग्रुप, रिद्धी सिद्धी इम्पेक्स, पार्थ इंटरनेशनल, गायत्री मा, गुन्न एंटरप्राइजेज, चार्ल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड.
15 जनवरी को ED ने एडेलवाइस के सह-संस्थापक और चेयरमैन रमेश शाह को FEMA के तहत जांच के लिए समन भेजा था. ये करेंसी एक्सचेंज कंपनी कैप्सटोन फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा था. लेकिन एडेलवाइस की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया.