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अगस्ता वेस्टलैंड: ED का आरोप- CM कमलनाथ के भांजे ने घोटाले में की कमाई

ईडी का दावा है कि 26 जुलाई को रतुल पुरी को अगस्ता वेस्टलैंड मामले में पूछताछ के लिए तलब किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी की आशंका के चलते वह फरार हो गए थे.

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रतुल पुरी (फाइल फोटो)
रतुल पुरी (फाइल फोटो)

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा मामले में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी के पास से घोटाले के पैसे मिलने का आरोप लगाया है. ये आरोप ईडी ने दिल्ली की अदालत में विशेष जज अरविंद कुमार के सामने रतुल पुरी की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लगाए.

आवेदन पर दलीलें पूरी नहीं होने पर जज अरविंद कुमार ने रतुल पुरी को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत एक दिन के लिए बढ़ा दी है. अग्रिम जमानत पर मंगलवार को भी कोर्ट में सुनवाई होगी.

वहीं, पुरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के दो विधायक कुछ दिन पहले  कांग्रेस में शामिल हुए थे. अब ईडी रतुल पुरी को गिरफ्तार करना चाहती है क्योंकि उनके मामा राज्य के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को राजनीतिक दुश्मनी का रंग दे दिया जा रहा है.  इधर, ईडी ने दावा किया,  'जांच में सामने आया है कि रतुल पुरी को दोनों पक्षों से धन प्राप्त हुआ था.' एक पक्ष में बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल जबकि दूसरे पक्ष में सह आरोपी राजीव सक्सेना शामिल था.

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ईडी ने कहा कि 26 जुलाई को रतुल पुरी को अगस्ता वेस्टलैंड मामले में पूछताछ के लिए तलब किया गया था. इसके बाद वो ईडी दफ्तर भी पहुंचे. अधिकारियों ने पुरी को इंतजार करने के लिए कहा और जब उनसे पूछताछ शुरू हुई तो पहले सवाल का जवाब देते हुए वॉशरूम जाने की बात कही. उन्हें वॉशरूम जाने की अनुमति दे दी गई, लेकिन गिरफ्तारी आशंका के चलते रतुल पुरी मौका देखकर ईडी ऑफिस से फरार हो गए. इसके बाद अगली सुबह उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर कर दी.

ईडी के हलफनामे में उल्लेख किया गया है, 'आवेदन समय से पहले और खारिज किए जाने योग्य है.' क्योंकि रतुल पुरी अदालत के समक्ष गिरफ्तारी की आशंका के लिए कोई कारण दिखाने में असमर्थ थे. इसके अलावा 'पीएमएलए में अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है.'

बता दें कि भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टरों की खरीद के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ करार किया गया था. यह करार साल 2010 में 3 हजार 600 करोड़ रुपये का था, लेकिन जनवरी 2014 में भारत सरकार ने इसको रद्द कर दिया था. आरोप है कि इस करार में 360 करोड़ रुपये का कमीशन दिया गया था. इस मामले में रतुल पुरी का भी नाम आया था. हालांकि मामले में आरोपी से सरकारी गवाह बने राजीव सक्सेना ने पूछताछ में रतुल पुरी के नाम को छिपा लिया था.

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