प्रवर्तन निदेशालय ने देश भर के करीब 300 सहकारी बैंकों को नोटिस भेजा है. इन सभी को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि वे नोटबंदी के बाद अपने द्वारा किए गए पूरे लेन-देन का ब्योरा दें. बैंकों से कहा गया है कि वे अगले दो कार्यदिवसों में यह पूरा ब्योरा दें.
असल में प्रवर्तन निदेशालय को शक है कि इन बैंकों में बड़े पैमाने पर काला धन जमा हुआ है, क्योंकि ज्यादातर सहकारी बैंकों में ऑनलाइन डेटा मैनेजमेंट सिस्टम नहीं है. इन बैंकों में ज्यादातर लेन-देन पुराने मैनुअल सिस्टम से हुआ है. रिजर्व बैंक ने पहले से ही सहकारी बैंकों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. कई जगह गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आने के बाद आरबीआई ने भी जिला सहकारी बैंकों में एक हजार और 500 के नोट बदलने पर रोक लगा दी थी. आरबीआई को इन बैंकों से लगातार गड़बड़ी कर अपने परिचितों के नोट बदलने की शिकायत मिल रही थी. आम तौर पर सहकारी बैंकों में चेयरमैन से लेकर अधिकांश पद सियासी तौर पर भरे जाते हैं.