मनी लॉन्ड्रिंग केस में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्डरिंग से जुड़े चार आरोपों पर ललित मोदी के खिलाफ अदालत से गैर जमानती वॉरंट जारी करने की मांग करेगा. 27 जुलाई को इस बारे में मुंबई की विशेष अदालत में ईडी याचिका दे सकता है.
प्रसारण अधिकार को लेकर सवाल
इन मामलों में वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप, मॉरीशस और सिंगापुर की मल्टी स्क्रीन मीडिया के बीच हुए करार में ललित मोदी की भूमिका को लेकर आरोप भी शामिल हैं.
पेश होने के लिए दिया था समय
इससे पहले 3 जुलाई को ईडी ने ललित मोदी को पेश होने के लिए 15 दिन का समय दिया था. मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ये मामला 2010 में बीसीसीआई की ओर से दाखिल किया गया था. इसमें ललित मोदी पर आईपीएल का मुखिया रहते हुए फंड में 470 करोड़ रुपये के हेर-फेर के आरोप लगाए गए थे.
ईडी ने मांगी थी सफाई
ईडी ने इस आरोपों पर ललित मोदी से सफाई मांगी थी. 2008 में बीसीसीआई ने डब्ल्यूएसजी को 918 मिलीयन डॉलर में 10 साल के लिए प्रसारण अधिकार दिए थे. बाद में उसने एमएसएम से सोनी को इस आधिकारिक प्रसारणकर्ता बनाने के लिए अलग से डील कर लिया था.
अनधिकृत तरीके से पैसे लेने का आरोप
2009 में ईडी ने फेमा कानून के तहत इस मामले की जांच शुरू की. जिसमें 425 करोड़ रुपये की राशि को अनधिकृत तरीके से दिये जाने का आरोप लगाया गया था. ईडी ने ललित मोदी को उनके वकीलों के जरिये समन भेजा था जिसे यह कहते हुए लौटा दिया गया कि वे समन लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
समन को लेकर भी बवाल
बाद में ईडी ने ई-मेल के जरिये ललित मोदी को समन भेजा . जो कि बाउंस नहीं हुआ. ईडी ने फिर ललित मोदी के आखिरी कार्यालय के पते पर समन भेजा. जबकि ललित मोदी का कहना है कि उन्हें कोई समन नहीं मिला है और वे लंदन स्थित अपने आवास पर ईडी के समन का इंतजार कर रहे हैं.