केंद्र के परामर्श पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने उस दलील को खारिज कर दिया कि उनकी सरकार ने भूमि के आवंटन और संबंधित अधिसूचना रद्द करने के मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग नियुक्त कर लोकायुक्त के अधिकारों में कटौती करने का प्रयास किया है.
पिछले हफ्ते केंद्र ने राज्यपाल हंसराज भारद्वाज द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की विवादित सिफारिश को खारिज कर दिया था. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुख्यमंत्री को एक परामर्श भेजा था. इस परामर्श में केंद्र ने कुल 11 मुद्दे उठाए हैं.
अधिकारियों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि केंद्र के परामर्श पर अपने जवाब में येदियुरप्पा ने जोर देते हुए कहा कि केंद्र के आरोप के विपरीत लोकायुक्त के अधिकारों में कटौती का कोई प्रयास नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत यह परामर्श नहीं है. यह केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर से मुख्यमंत्री को भेजा गया अर्धसरकारी पत्र है. मुख्यमंत्री ने इसका जवाब दे दिया है.’
केंद्र को भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश बी पद्मराज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन के पूर्व लोकायुक्त के सामने जो मुद्दे थे, उसकी जांच लोकायुक्त द्वारा ही की जा रही है.’ जवाब में कहा गया है कि सिर्फ वही मामले न्यायिक आयोग को सौंपे गए हैं जो लोकायुक्त के दायरे से बाहर हैं.
अधिकारियों ने बताया कि परामर्श में 11 मुद्दों का जिक्र किया गया है. उनमें कानून व्यवस्था, मुख्यमंत्री के खिलाफ खनन और भ्रष्टाचार संबंधी आरोप भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा ने कांग्रेस और जद एस से विधायकों के दबलदल कर भाजपा में आने के मुद्दे पर भी अपना जवाब दिया है. लेकिन उन्होंने इस संबंध में ब्यौरा देने से परहेज किया. संवाददाताओं से बातचीत करते हुए येदियुरप्पा ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने अपना जवाब एक सीलबंद लिफाफे में भेज दिया है लेकिन उन्होंने ब्यौरा नहीं दिया.