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अयोध्‍या विवाद के फैसले पर संपादकों की राय

भारतीय इतिहास में अब तक का सबसे ज्‍यादा प्रतिक्षित अयोध्‍या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुना दिया है. जैसा कि उम्‍मीद की जा रही थी कि इस फैसले के बाद देशवासी अपनी बुद्धिमता का परिचय देंगे और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखेंगे. पूरे देश में कुछ वैसी ही स्थिति देखने को मिल रही है.

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भारतीय इतिहास में अब तक का सबसे ज्‍यादा प्रतिक्षित अयोध्‍या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुना दिया है. जैसा कि उम्‍मीद की जा रही थी कि इस फैसले के बाद देशवासी अपनी बुद्धिमता का परिचय देंगे और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखेंगे. पूरे देश में कुछ वैसी ही स्थिति देखने को मिल रही है.

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इस मसले पर धर्मगुरूयों, राजनेताओ समेत तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. हम यहां इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकों की प्रतिकिया दे रहे हैं:

अरुण पुरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पिछले 61 साल से चले आ रहे विवाद, सांप्रदायिक संघर्ष, राजनीतिक और धार्मिक टकराव का पटाक्षेप करने वाला है. 30 सितंबर को यह फैसला दो हिंदू और एक मुस्लिम जज ने सुनाया है. भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है. इस फैसले ने यह दिखा दिया है कि 1992 अब एक बंद अध्‍याय है और 2010 का भारत राजनीतिक और धार्मिक समेत सभी नजरिए से एक अलग देश की तरह है.

क़मर वहीद नक़वी: यह फैसला भारत के न्‍यायिक इतिहास में मील का पत्‍थर है. आशा है कि इस फैसले से उस विवाद का समाधान हो जाएगा, जो पिछले 60 साल से भारत को परेशान कर रहा है.

प्रभु चावला

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आज के इस ऐतिहासिक दिन का इस देश को वर्षों से इंतजार था. और जब यह फैसला आया है तो यह पूर्ण रूप से सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने वाला साबित होगा. {mospagebreak}

एम. जे. अकबर: अयोध्‍या विवाद पर कोर्ट के फैसले में राम मंदिर के निर्माण को एकमत से स्‍वीकार कर लिया गया. यही पूरे विवाद का मूल बिंदु भी था. यह हमारे जीवनकाल के सबसे चुनौतीपूर्ण विवादों में से एक के सौहार्दपूर्ण समाधान का अनूठा अवसर मुहैया कराता है.

भरत भूषण: ऐसा लगता है कि अयोध्‍या मामले का फैसला आस्‍था और विश्‍वास को ध्‍यान में रखकर किया गया है. लोगों की आस्‍था के आधार पर अदालत ने विवादित स्‍थल को भगवान राम की जन्‍मभूमि घोषित किया है. इस फैसले से एक जो सबसे अच्‍छी बात हुई वो यह है कि ऐसे सभी तत्‍वों को जो समय समय पर इस मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक उन्‍माद भड़काते रहे हैं उन्‍हें इस फैसले से कोई मौका नहीं मिलेगा. साथ ही इस फैसले के बाद इस मुद्दे का कोई राजनीतिक फायदा भी नहीं उठा सकेगा.

अजय कुमार: कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले 60 सालों में ऐसे उलझे हुए विवादित मसले पर एक सटीक और पारदर्शी फैसला कम ही देखने को मिला है. अब यह भारतीय जनमानस पर निर्भर करता है कि लोकतांत्रिक परमपराओं और विवेक के अधीन शांतिपूर्वक तरीके से देश के सबसे बड़े विवाद का निपटारा हम नागरकि कैसे करते हैं. {mospagebreak}

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शैलेंद्र झा: भारत की नई पीढ़ी अब पुरानी बातों को भुलाकर आगे बढ़ना चाहती है. इस परिप्रेक्ष्‍य में अयोध्‍या मामले पर आए अदालती फैसले ने वह मौका उपलब्‍ध कराने का काम किया है कि जब सभी पक्ष पुरानी कड़वाहट को पीछे छोड़कर आगे बढ़ें.

राहुल कंवल: अगर अतीत विभाजनकारी था तो इस फैसले ने भारत के लिए एक नए दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्‍त किया है जिसमें देश के युवाओं की अपेक्षाओं को भी महसूस किया गया है. सबसे अच्‍छी बात यह है कि इस फैसले से किसी भी पक्ष को बहुत ज्‍यादा निराश होने की जरूरत नहीं होगी.

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