अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा का बहुप्रतिक्षित और चर्चित दौरा आखिरकार समाप्त हो गया और वो रवाना हो गए. ओबामा का दौरा शुरू होने से पहले से ही विश्लेषण का दौर जो शुरू हुआ था वो अब भी जारी है. अब यह जानने की कवायद चल रही है कि ओबामा के इस दौरे से भारत को क्या मिला.
दौरे से पहले क्या कहा संपादकों ने
हालांकि ओबामा ने दौरे पर आने से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनका यह दौरा व्यापरिक होगा. फिर भी भारत में एक वर्ग ने यह उम्मीद लगा रखी थी कि ओबामा पाकिस्तान और चीन को लेकर भी कुछ बोलेंगे और ओउटसोर्सिंग जैसे मसले के समाधान के विषय में भी बात करेंगे. कुछ हद तक तो लोगों की उम्मीदें पूरी भी हुईं.
भारत के लिए सबसे सुखद बात यह रही कि संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन किया और कहा कि भारत अब एक विकसित देश बन चुका है. ओबामा ने पाकिस्तान को भी कहा कि सीमापार से जारी आतंकवाद पर वह नकेल कसे. ओबामा का यह दौरा कैसा रहा और इससे किसे क्या हासिल हुआ इस पर पेश है इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकों की राय. {mospagebreak}
प्रभु चावला
अमेरिका के नीति-नियंताओं ने जो राह पकड़ी है, उसे देखकर आश्चर्य होता है. सिर्फ बीते 30 वर्षों पर ही नजर डालें-रोनाल्ड रीगन, बिल क्लिंटन और अब...बराक ओबामा. ये शब्दों के जरिए ऐसा सम्मोहन पैदा करते हैं, जो हर तरह के लोगों को बांधने में सक्षम हो. अपने भारत दौरे पर बराक ओबाम ने ठीक ऐसा ही किया. वे उचित स्थान पर सटीक बातें बोलते हैं. वे मुंबई में धनकुबेरों के सामने पैसे की भाषा बोलते हैं, तो देश की राजधानी में राजनेताओं के सामने दर्शन बघारते नजर आते हैं.
भरत भूषण
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे से भारत ने इससे ज्यादा पाने की आस नहीं लगाई थी. यूं तो अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत के नाम पर अपनी ओर से हामी भर दी है. पर चीन भी सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों में से एक है. भारत को चीन के समर्थन की भी दरकार होगी. आतंकवाद के मसले पर भारत की जनता ओबामा के मुंह से पाकिस्तान के बारे में उससे कहीं ज्यादा सुनने को बेताब थी, जितना ओबामा दौरे के शुरुआत कहने को तैयार थे. बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ने आतंकियों के लिए जन्नत साबित हो रहे पाकिस्तान के खिलाफ अपेक्षाकृत कड़ा बयान दिया.